Valmiki Ramayan Ka Uttarkand (वाल्मीकि रामायण का उत्तरकाण्ड)

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एक लेख एक पुस्तक का आकार ले, यह एक विचित्र कल्पना थी। अतः पांच भाषाओं को चुना गया। मेरे प्रकाशक डायमण्ड बुक्स के स्वामी नरेन्द्र जी मुझ पर इतने कृपालु हैं कि वे मेरी किसी भी इच्छा को सहर्ष पूर्ण करने को तैयार हो जाते हैं। इससे पूर्व वे मेरी पुस्तक ‘भारतीय संस्कृति और मूल अंकों के स्वर’ का भी अंग्रेजी अनुवाद छाप चुके हैं। मैं तो उनकी कल्याण कामना ही कर सकता हूँ।