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Vedant Darshan Aur Moksh Chintan (वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन)-1
Vedant Darshan Aur Moksh Chintan (वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन)-1
Vedant Darshan Aur Moksh Chintan (वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन)-2

Vedant Darshan Aur Moksh Chintan (वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन) In Hardcover

Original price was: ₹499.00.Current price is: ₹498.00.

किताब के बारे में

वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन-: सभ्यता व संस्कृति के ऊषा काल से ही मानवीय चिन्तन प्रक्रिया अबाध गति से चलायमान रही है तथा देश, काल व परिस्थिति में इसके अलग-अलग सोपान रहे हैं। भारतीय सन्दर्भ में यदि चिन्तन विधाओं पर एक विहंगम दृष्टिपात करें तो यह तथ्य ज्ञात होता है कि, दार्शनिक चिन्तन का प्रारम्भ यद्यपि दुःखों की जिज्ञासा से होता है तथापि इसका पर्यवसान समग्र जीवन के श्रेष्ठतम श्रेयस् लक्ष्य ‘मोक्ष’ की उपलब्धि में होता है। भारतीय दर्शन में आधिभौतिक, आध्यात्मिक तथा आदिदैविक इन त्रिविध दु:खों से आत्यन्तिक तथा एकान्तिक निवृत्ति को परम पुरुषार्थ की संज्ञा से सम्बोधित किया गया है। अर्थ, काम, धर्म तथा मोक्ष रूपी चार पुरुषार्थों में मोक्ष को परम पुरुषार्थ की संज्ञा प्रदान की गई है। इन पुरुषार्थ चतुष्टय में साधन-साध्य सम्बन्ध माना जाता है। अर्थ, काम तथा धर्म रुपी त्रिवर्ग को मोक्ष रुपी चतुवर्ग (साध्य) का साधन माना जाता है।ज्ञातव्य है कि समग्र भारतीय चिन्तन विधा का चरमोत्कर्ष वेदान्त चिन्तन माना जाता हैं। ‘वेद’ शब्द ‘विद्’ धातु से व्युत्पन्न है जिसका आशय ‘जानने’ से अथवा ‘ज्ञान प्राप्त करने’ से है; अर्थात् जिसको जानने के पश्चात् अन्य किसी प्रकार के ज्ञान को जानने की आवश्यकता नहीं रहती वही वेद है। वेद ही ज्ञान के अक्षय व अक्षुण्ण भण्डार हैं। वैदिक साहित्य के अंतिम भाग को वेदान्त शब्द से निरूपित किया जाता है। संस्कृत में ‘अन्त’ शब्द के तीन अर्थ होते हैं – ‘अन्तिम भाग’, सिद्धान्त’ और ‘सार तत्त्व’। इस प्रकार वेदान्त का अर्थ वेदों के सार तत्त्वों से है। उपनिषदों में वेदान्त के उपर्युक्त तीनों अर्थों का समावेश हो जाता है इसलिए उपनिषदों के लिए वेदान्त शब्द व्यवहार किया जाता है।प्रस्तुत पुस्तक सभी भारतीय विचारों और दर्शनों के मोक्ष-चिन्तन या आत्म साक्षात्कार के स्वरूपों का निरूपण करते हुए प्रमुख वेदान्त सम्प्रदायों के अनुसार मोक्ष-चिन्तन की व्याख्या करती है। वेदान्त की सभी प्रमुख वैचारिक शाखाओं के गूढ तथ्यों का सरल एवं अनुपम वर्णन पुस्तक में उपलब्ध है। पुस्तक के अंत में सभी विचारकों के मध्य परस्पर अन्तरसंगतता को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए सभी के विचारों को चिंतन के विभिन्न स्तरों के रूप में स्थापित करते हुए एक मात्र पूर्ण सत्य – ‘ब्रह्म सत्यं-जगत मिथ्या’ के निरुपण करने का प्रयास किया है। साथ ही मोक्ष चिंतन की वर्तमान में व्यवहारिकता और महत्त्व, जीवन का उच्चतम लक्ष्य और नैतिकता के साथ समन्वय की विवेचना की गई है। पुस्तक की भाषा सरल और ग्राह्य है। पुस्तक लेखन की शैली दार्शनिक अभिव्यक्तियों को अधिक स्पष्ट और प्रभावपूर्ण बनाती है।

लेखक के बारे में

डॉ. रवीन्द्र बोहरा ने जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र विषय में, एम०ए० और पी० एच० डी०की डिग्री प्राप्त की । लंबे समय से दर्शन शास्त्र और तर्क शास्त्र के शिक्षण कार्य से जुड़े है। भारतीय दर्शन प्रणालियों के जानकार, वेदान्त और तर्क शास्त्र के विशेषज्ञ होने के साथ देश के दो महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों, ‘स्वच्छ भारत मिशन’ और ‘नमामि गंगे कार्यक्रम’ से भी ये काफी समय से जुड़े हुए है। झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा इनकी दो पुस्तकों ‘शौचालय निर्माण -तकनीकी दिशा निर्देश’ तथा ‘विद्यालय जल, स्वच्छता, एवं स्वास्थ्य शिक्षा’ का प्रकाशन किया जा चुका है।

वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन पुस्तक किस बारे में है?

यह पुस्तक वेदांत दर्शन के सिद्धांतों और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है।

वेदांत दर्शन का अर्थ क्या है?

वेदान्त का अर्थ वेदों के सार तत्वों से है। इसे वेदों के अंतिम भाग के रूप में भी जाना जाता है। वेदांत दर्शन भारतीय दर्शन का एक प्रमुख अंग है, जो आत्मा, परमात्मा और ब्रह्म की एकता पर आधारित है।

वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन पुस्तक में मोक्ष प्राप्ति के लिए किन मार्गों का उल्लेख किया गया है?

वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन पुस्तक में ज्ञान योग, भक्ति योग, कर्म योग और राज योग के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति का उल्लेख किया गया है।

वेदांत दर्शन और मोक्ष चिंतन पुस्तक में मोक्ष को परम पुरुषार्थ क्यों कहा गया है?

मोक्ष को परम पुरुषार्थ इसलिए कहा गया है क्योंकि यह समस्त दुखों से मुक्ति और आत्म-साक्षात्कार का प्रतीक है।

मोक्ष का अर्थ क्या है?

मोक्ष का अर्थ जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति और आत्मा का परमात्मा में विलय है।

Additional information

Weight 0.420 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.1 cm
Author

Dr. Ravindra Bohra

Pages

288

Format

Hardcover

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN10 -: 9359642231

SKU 9789359642239 Category Tags ,

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