किताब के बारे में
विष्णु पुराण हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ है भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रंथों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। पुराण-साहित्य भारतीय जीवन और साहित्य की अक्षुण्ण निधि हैं। इनमें मानव जीवन के उत्कर्ष और अपकर्ष की अनेक गाथाएं मिलती हैं। कर्मकांड से ज्ञान की ओर आते हुए भारतीय मानस चिंतन के बाद भक्ति की अविरल धारा प्रवाहित हुई । विकास की इसी प्रक्रिया में बहुदेववाद और निर्गुण ब्रह्म की स्वरूपात्मक व्याख्या से धीरे-धीरे भारतीय मानस अवतारवाद या सगुण भक्ति की ओर प्रेरित हुआ । अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी देवताओं को केन्द्र मान कर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएं कही गई हैं।आज के निरन्तर द्वन्द्व के युग में पुराणों का पठन मनुष्य को उस द्वन्द्व से मुक्ति दिलाने में एक निश्चित दिशा दे सकता है और मानवता के मूल्यों की स्थापना में एक सफल प्रयास सिद्ध हो सकता है। इसी उद्देश्य को सामने रख कर पाठकों की रुचि के अनुसार सरल, सहज भाषा में पुराण साहित्य की श्रृंखला में यह पुस्तक प्रस्तुत है।
लेखक के बारे में
डॉ. विनय ने हमेशा भारतीय मनीषियों से सृष्टि के रहस्यों को जानने का प्रयास किया। उनके अनुसार आधुनिक जीवन में अनेक विशिष्ट बातों पर मतभेद होने के बाद भी मानवीय मूल्यों का महत्व नहीं खो सकता, क्योंकि मानवीय गुणों के बिना किसी बेहतर समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। विनय के अनुसार हमारी पौराणिक कथाएँ हमें वह आधार प्रदान करती हैं, जिसकी हम कल्पना करते हैं। अपने साहित्य के माध्यम से विनय भारतीय पौराणिक कथाओं, उसके रहस्यों और कर्मकांडों के महत्व को प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। उनके अन्य कार्यों में कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण, पद्म पुराण, पदम पुराण, कल्कि पुराण, वराह पुराण, ब्रह्म पुराण, नारद पुराण, गणेश पुराण और देवी भगत पुराण शामिल हैं।
विष्णु पुराण क्या है? विष्णु पुराण में क्या-क्या वर्णित है?