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गीता मनुष्य जाति का पहला मनोविज्ञान है, वह पहली “साइकोलॉजी” है। इसलिए उसके मूल्य की बात ही और है। अगर मेरा वश चले, तो कृष्ण को मनोविज्ञान का पिता मैं कहना चाहूंगा। वे पहले व्यक्ति हैं, जो द्विधाध्यस्त्र चित्त, “माइंड इन कॉन्फ्लिक्ट,” संतापग्रस्त मन, खंड-खंड टूटे हुए संकल्प को अखंड और “इंटीग्रेट” करने की कोशिश करते हैं। कहने कि वे पहले आदमी हैं, जो “साइको-एनालिसिस” का, मनस-विश्लेषण का उपयोग करते हैं। सिर्फ मनस-विश्लेषण का ही नहीं, बल्कि साथ ही एक और दूसरी बात का भी — “मनस-संरक्षण” का भी, “साइको-सिंथेसिस” का भी।
— ओशो
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
“युद्ध और शांति” एक व्यापक विषय है, जो संघर्ष, हिंसा, और शांति की स्थापना से जुड़ी चुनौतियों और समाधानों को दर्शाता है। इसमें युद्ध के कारणों और शांति के महत्व पर चर्चा होती है।
युद्ध के प्रमुख कारणों में राजनीतिक संघर्ष, सीमाओं को लेकर विवाद, आर्थिक संसाधनों की होड़, और सांस्कृतिक या धार्मिक मतभेद शामिल होते हैं।
शांति स्थापित करने के लिए संवाद, सहनशीलता, सामाजिक और आर्थिक न्याय, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग आवश्यक होते हैं। संघर्षों का समाधान शांतिपूर्ण तरीकों से करने पर जोर दिया जाता है।
युद्ध और शांति के बीच का संबंध परस्पर विरोधाभासी है। जहां युद्ध विनाश और संघर्ष का प्रतीक है, वहीं शांति स्थिरता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती है। शांति की स्थापना अक्सर युद्ध के बाद होती है।
हां, युद्ध के बिना भी शांति संभव है। इसके लिए देशों और समुदायों के बीच आपसी समझ, संवाद, और सहयोग की आवश्यकता होती है। संघर्षों को सुलझाने के लिए अहिंसक साधनों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है।
युद्ध से समाज में अस्थिरता आती है, लोग विस्थापित होते हैं, और सामाजिक संरचना टूटती है। युद्ध के बाद पुनर्निर्माण और समाज में स्थिरता लाने में कई साल लग सकते हैं।
Weight | 290 g |
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Dimensions | 20.3 × 12.7 × 1.6 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8189182714 |
Pages | 112 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8189182714 |
युद्ध और शांति पुस्तक मानव संघर्ष और शांति के महत्व को दर्शाती है। यह पुस्तक दिखाती है कि कैसे युद्ध विनाशकारी हो सकता है और शांति जीवन को संतुलित और सुखद बनाती है। संघर्ष और समाधान के बीच के इस द्वंद्व को समझाने वाली यह कृति, जीवन के कठिन समय में भी शांति की तलाश और उसके महत्व को स्पष्ट करती है। मानवता के लिए शांति और सहयोग का संदेश देने वाली यह प्रेरणादायक पुस्तक पाठकों को गहराई से प्रभावित करती है।
ISBN: 8189182714
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