वैदिक साहित्य में उपासना का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अनुभूत सत्य है कि मंत्रों में शक्ति होती है। मंत्रों की क्रमबद्धता, उच्चारण, और उनके प्रयोग का सही ज्ञान होना भी परम आवश्यक है। शुद्ध उच्चारण से ही मंत्र प्रभावशाली होते हैं, तथा देवों को जाग्रत करते हैं। गायत्री मां वेदों की जननी है। वह वेद-वेदांग, आध्यात्मिकव भौतिक उन्नति, ज्ञान-विज्ञान का अक्षुण्ण भंडार अपने में समेटे हैं। गायत्री उपासना, भक्ति कल्याण का साधन है। इसी से हम उन्नति, सुखमय जीवन, भक्ति पथ के सद्गामी बन सकते हैं। उपासना पद्धति में व्यक्तिक्रम कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। अत मंत्रो के शुद्ध उच्चारण तथा क्रमबद्ध प्रयोग करने का लक्ष्य ही प्रस्तुत पुस्तक का ध्येय है।
गायत्री उपासना
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वैदिक साहित्य में उपासना का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अनुभूत सत्य है कि मंत्रों में शक्ति होती है। मंत्रों की क्रमबद्धता, उच्चारण, और उनके प्रयोग का सही ज्ञान होना भी परम आवश्यक है। शुद्ध उच्चारण से ही मंत्र प्रभावशाली होते हैं, तथा देवों को जाग्रत करते हैं। गायत्री मां वेदों की जननी है। वह वेद-वेदांग, आध्यात्मिकव भौतिक उन्नति, ज्ञान-विज्ञान का अक्षुण्ण भंडार अपने में समेटे हैं। गायत्री उपासना, भक्ति कल्याण का साधन है। इसी से हम उन्नति, सुखमय जीवन, भक्ति पथ के सद्गामी बन सकते हैं। उपासना पद्धति में व्यक्तिक्रम कठिनाई उत्पन्न कर सकता है। अत मंत्रो के शुद्ध उच्चारण तथा क्रमबद्ध प्रयोग करने का लक्ष्य ही प्रस्तुत पुस्तक का ध्येय है।
Additional information
Author | Dr. Radha Krishna Srimali |
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ISBN | 8128806173 |
Pages | 720 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128806173 |