शादी के बाद हम लोग सात दिन शिमला में थे। हंसी-मजाक, प्यार भरी बातें, दुनिया जहान की गप्पें और गाना- वह सात दिन बड़े आनंद से बीत गए। मैंने तो सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि कोई इंसान शादी के बाद इतना खुश हो सकता है। दिल्ली वापस आने के तीन दिन बाद ही रात को सोते समय मैंने देखा, दुर्बा का बदन गर्म है। अगले दिन सुबह देखा १०१ डिग्री बुखार दवाई से भी बुखार नहीं उतरा। खून की जांच हुई। प्रोफेसर रंगराजन रिपोर्ट लेने गए थे। क्या पता चला? एक्यूट ल्यूकोमिया। मेरी सब हंसी, सुख, शांति, आनंद मेरे सभी सपने, आज रात को आठ बजे निगमबोध घाट पर जलकर राख हो गए।
18 वर्ष की लड़की
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शादी के बाद हम लोग सात दिन शिमला में थे। हंसी-मजाक, प्यार भरी बातें, दुनिया जहान की गप्पें और गाना- वह सात दिन बड़े आनंद से बीत गए। मैंने तो सपने में भी कभी नहीं सोचा था कि कोई इंसान शादी के बाद इतना खुश हो सकता है। दिल्ली वापस आने के तीन दिन बाद ही रात को सोते समय मैंने देखा, दुर्बा का बदन गर्म है। अगले दिन सुबह देखा १०१ डिग्री बुखार दवाई से भी बुखार नहीं उतरा। खून की जांच हुई। प्रोफेसर रंगराजन रिपोर्ट लेने गए थे। क्या पता चला? एक्यूट ल्यूकोमिया। मेरी सब हंसी, सुख, शांति, आनंद मेरे सभी सपने, आज रात को आठ बजे निगमबोध घाट पर जलकर राख हो गए।
Additional information
Author | Nimai Bhattacharya |
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ISBN | 8128815725 |
Pages | 528 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128815725 |