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अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल-Ashtavakra Mahageeta Bhag II Dukh Ka Mool by osho

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अष्टावक्र की गीता को मैंने यूं ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है। बहुत देर करके चुना है—सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कृष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ में अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ नहीं था। बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड़ से छुटकारा पाया है। अब तो थोड़े-से विवेकानंद यहां हैं। अब तो उनसे बात करनी है, जिनकी बड़ी संभावना है। उन थोड़े-से लोगों के साथ मेहनत करनी है, जिनके साथ मेहनत का परिणाम हो सकता है। अब तीर तड़ागने, कंकड़-पत्थरों पर यह छेनी खराब नहीं करनी। इसलिए चुनी है अष्टावक्र की गीता। तुम तैयार हुए हो, इसलिए चुनी है।   ISBN10- 818960578X

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अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल-Ashtavakra Mahageeta Bhag Ii Dukh Ka Mool By Osho
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अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल-Ashtavakra Mahageeta Bhag Ii Dukh Ka Mool By Osho

उत्पाद विवरण

“अष्टावक्र महागीता भाग 2: दुख का मूल” जीवन के दुखों का गहन विश्लेषण करती है और हमें यह समझने में सहायता करती है कि दुख का असली स्रोत क्या है। अष्टावक्र के दर्शन के माध्यम से यह पुस्तक हमें यह बताती है कि दुख केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि आंतरिक भ्रम और अज्ञानता से उत्पन्न होता है। इस भाग में दुख के वास्तविक कारणों को उजागर किया गया है और आत्मज्ञान प्राप्त करने के उपाय प्रस्तुत किए गए हैं। यह उन पाठकों के लिए एक मार्गदर्शक है जो दुख से मुक्ति और आंतरिक शांति की तलाश में हैं।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 2 क्यों पढ़ें?u003c/strongu003e

यह पुस्तक दुख के मूल कारणों को गहराई से समझाती है और ओशो के प्रवचनों के माध्यम से आत्मज्ञान और शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।

u003cstrongu003eओशो अष्टावक्र गीता को कैसे समझाते हैं?u003c/strongu003e

ओशो अष्टावक्र के विचारों को सरल और आधुनिक संदर्भ में व्याख्या करते हैं, जिससे पाठक दुख और मन के बीच संबंध को समझ सकें और आत्मज्ञान की दिशा में प्रेरित हो सकें।

u003cstrongu003eयह अष्‍टवक्र महागीता किसके लिए उपयुक्त है?u003c/strongu003e

यह पुस्तक उन लोगों के लिए है, जो जीवन में आत्मज्ञान, शांति, और दुख से मुक्ति की तलाश में हैं। यह साधकों और अध्यात्म में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र गीता में दुख का क्या कारण बताया गया है?u003c/strongu003e

अष्टावक्र गीता के अनुसार, दुख का कारण हमारे मन और अहंकार में छिपा है। यह हमें सच्चे आत्मज्ञान से दूर रखता है, और उससे मुक्ति पाने के लिए अहंकार और मन की सीमाओं को पार करना आवश्यक है।

u003cstrongu003eक्या यह अष्टावक्र गीता ध्यान और आत्मनिरीक्षण पर आधारित है?u003c/strongu003e

हां, यह पुस्तक ध्यान, आत्मनिरीक्षण, और मन के गहन अध्ययन पर आधारित है। ओशो बताते हैं कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए दुख के कारणों को समझना और उनसे मुक्ति पाना आवश्यक है।

u003cstrongu003eक्या इस अष्टावक्र गीता में अष्टावक्र गीता का गहन विश्लेषण है?u003c/strongu003e

हां, इस पुस्तक में अष्टावक्र गीता के गहरे विचारों का ओशो द्वारा गहन विश्लेषण किया गया है, जिसमें दुख के कारणों और उससे मुक्ति के मार्ग पर विचार प्रस्तुत किए गए हैं।

Additional information

Weight 0.175 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.5 cm
Author

Osho

ISBN

818960578X

Pages

204

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

818960578X

ISBN : 9788189605780 SKU 9788189605780 Categories , , , Tags ,

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