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अष्‍टवक्र महागीता भाग 9 : अनुमान है अनुभव

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Ashtavakra Mahageeta Bhag 9 : Anumaan Nahin Anubhav

अष्‍टवक्र महागीता भाग 9 : अनुमान है अनुभव-0
अष्‍टवक्र महागीता भाग 9 : अनुमान है अनुभव
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अष्टावक्र महागीता भाग 9: अनुमान है अनुभव एक गहन आध्यात्मिक पुस्तक है जो जीवन के अनुभव की गहराई को उजागर करती है। इस पुस्तक में अष्टावक्र गीता के प्रमुख सिद्धांतों के आधार पर अनुमान और अनुभव के बीच के अंतर को समझाया गया है। यह हमें यह जानने में मदद करती है कि किस तरह हमारे मानसिक अनुमान और धारणाएँ जीवन के अनुभव से अलग हो सकती हैं, और केवल वास्तविक अनुभव ही हमें सत्य की दिशा में ले जा सकते हैं।

अष्टावक्र, प्राचीन भारतीय ऋषि, ने राजा जनक को आत्मज्ञान और ध्यान के माध्यम से जीवन के सत्य का अनुभव करने की प्रेरणा दी थी। इस पुस्तक में अष्टावक्र के उन्हीं उपदेशों का विस्तार किया गया है, जिसमें बताया गया है कि अनुमान के बजाय अनुभव से ही हमें जीवन के वास्तविक अर्थ का पता चलता है।

पुस्तक यह सिखाती है कि केवल अनुमान या धारणाओं से सत्य तक नहीं पहुँचा जा सकता, बल्कि अनुभव ही हमें आत्मज्ञान की दिशा में ले जाता है। अष्टावक्र महागीता भाग 9 के माध्यम से पाठक ध्यान, आत्म-बोध, और अनुभव की गहराई को समझ सकते हैं, जो जीवन की कठिनाइयों से परे जाकर शांति और मुक्ति प्राप्त करने का मार्ग है।

पुस्तक का परिचय:

अष्टावक्र महागीता भाग 9 अनुमान और अनुभव के बीच का अंतर समझाने वाली एक गहन आध्यात्मिक पुस्तक है। यह पाठकों को आत्मज्ञान और अनुभव की गहराई तक पहुँचने के लिए प्रेरित करती है।

अनुमान और अनुभव का महत्व:

पुस्तक में यह समझाया गया है कि अनुमान केवल हमारी धारणाएँ हैं, जबकि अनुभव हमें जीवन के वास्तविक सत्य तक ले जाता है। अनुभव ही आत्मज्ञान का मार्ग प्रशस्त करता है।

अष्टावक्र के उपदेश:

इस पुस्तक में अष्टावक्र के उपदेशों का विस्तार से वर्णन है, जिसमें राजा जनक को आत्मज्ञान के माध्यम से जीवन के सत्य का अनुभव करने की प्रेरणा दी गई थी। यह आत्म-बोध और ध्यान की महत्ता को उजागर करता है।

ध्यान और अनुभव की गहराई:

पुस्तक में यह बताया गया है कि ध्यान के माध्यम से हम जीवन के अनुभवों को गहराई से समझ सकते हैं और आत्मज्ञान की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। यह अनुभव ही शांति और मुक्ति की ओर ले जाता है।

क्यों पढ़ें अष्टावक्र महागीता भाग 9:

जो लोग जीवन के सत्य को समझना चाहते हैं और आत्मज्ञान की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक एक आदर्श मार्गदर्शक है। यह अनुभव और अनुमान के बीच के अंतर को स्पष्ट करती है और पाठकों को आत्म-बोध की दिशा में प्रेरित करती है।

Additional information

Weight 0.325 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.3 cm
Author

Osho

ISBN

8184190085

Pages

304

Format

Hard Bound

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

8184190085

FAQs

अष्टावक्र महागीता भाग 9 किस बारे में है?
अष्टावक्र महागीता भाग 9 अनुमान और अनुभव के बीच के अंतर को समझने पर आधारित है। यह पुस्तक बताती है कि जीवन में वास्तविक अनुभव ही हमें सत्य और आत्मज्ञान की दिशा में ले जा सकते हैं, जबकि अनुमान या धारणाएँ सीमित होती हैं।
अनुमान और अनुभव में क्या अंतर है?
अनुमान हमारे मानसिक विचारों और धारणाओं पर आधारित होता है, जो सत्य का केवल आभास देता है। दूसरी ओर, अनुभव जीवन की वास्तविकता को प्रत्यक्ष रूप से समझने और महसूस करने से आता है। अनुभव ही आत्मज्ञान की दिशा में ले जाता है।
इस पुस्तक को पढ़ने से क्या लाभ होगा?
यह पुस्तक आपको यह समझने में मदद करेगी कि कैसे अनुमान और अनुभव में अंतर होता है और केवल अनुभव से ही हम जीवन के गहरे सत्य तक पहुँच सकते हैं। यह आत्म-बोध, ध्यान, और ध्यान के माध्यम से अनुभव की गहराई को उजागर करती है।
क्या यह पुस्तक सभी के लिए उपयुक्त है?
हाँ, यह पुस्तक उन सभी के लिए उपयुक्त है जो आत्मज्ञान और ध्यान के मार्ग पर हैं। यह गहरे आध्यात्मिक सिद्धांतों को सरल और सुलभ भाषा में समझाती है, जिससे सभी आयु वर्ग के पाठक इसे पढ़कर लाभान्वित हो सकते हैं।
अष्टावक्र महागीता भाग 9 का मुख्य संदेश क्या है?
पुस्तक का मुख्य संदेश यह है कि केवल अनुमान या धारणाओं से सत्य की प्राप्ति नहीं हो सकती। सत्य का अनुभव करने के लिए हमें ध्यान, आत्म-बोध और अनुभव की गहराई तक जाना होगा। अनुभव ही जीवन की वास्तविकता को समझने का सही मार्ग है।