



पुस्तक के बारे में
“अष्टावक्र महागीता भाग 2: दुख का मूल” जीवन के दुखों का गहन विश्लेषण करती है और हमें यह समझने में सहायता करती है कि दुख का असली स्रोत क्या है। अष्टावक्र के दर्शन के माध्यम से यह पुस्तक हमें यह बताती है कि दुख केवल बाहरी परिस्थितियों से नहीं, बल्कि आंतरिक भ्रम और अज्ञानता से उत्पन्न होता है। इस भाग में दुख के वास्तविक कारणों को उजागर किया गया है और आत्मज्ञान प्राप्त करने के उपाय प्रस्तुत किए गए हैं। यह उन पाठकों के लिए एक मार्गदर्शक है जो दुख से मुक्ति और आंतरिक शांति की तलाश में हैं।
लेखक के बारे में
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
अष्टावक्र महागीता भाग 2 क्यों पढ़ें?
यह पुस्तक दुख के मूल कारणों को गहराई से समझाती है और ओशो के प्रवचनों के माध्यम से आत्मज्ञान और शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है।
ओशो अष्टावक्र गीता को कैसे समझाते हैं?
ओशो अष्टावक्र के विचारों को सरल और आधुनिक संदर्भ में व्याख्या करते हैं, जिससे पाठक दुख और मन के बीच संबंध को समझ सकें और आत्मज्ञान की दिशा में प्रेरित हो सकें।
यह अष्टवक्र महागीता किसके लिए उपयुक्त है?
यह पुस्तक उन लोगों के लिए है, जो जीवन में आत्मज्ञान, शांति, और दुख से मुक्ति की तलाश में हैं। यह साधकों और अध्यात्म में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है।
अष्टावक्र गीता में दुख का क्या कारण बताया गया है?
अष्टावक्र गीता के अनुसार, दुख का कारण हमारे मन और अहंकार में छिपा है। यह हमें सच्चे आत्मज्ञान से दूर रखता है, और उससे मुक्ति पाने के लिए अहंकार और मन की सीमाओं को पार करना आवश्यक है।
क्या यह अष्टावक्र गीता ध्यान और आत्मनिरीक्षण पर आधारित है?
हां, यह पुस्तक ध्यान, आत्मनिरीक्षण, और मन के गहन अध्ययन पर आधारित है। ओशो बताते हैं कि आत्मज्ञान प्राप्त करने के लिए दुख के कारणों को समझना और उनसे मुक्ति पाना आवश्यक है।
क्या इस अष्टावक्र गीता में अष्टावक्र गीता का गहन विश्लेषण है?
हां, इस पुस्तक में अष्टावक्र गीता के गहरे विचारों का ओशो द्वारा गहन विश्लेषण किया गया है, जिसमें दुख के कारणों और उससे मुक्ति के मार्ग पर विचार प्रस्तुत किए गए हैं।