उत्पाद विवरण
अष्टावक्र महागीता भाग 9: अनुमान नहीं अनुभव” में ओशो ने अष्टावक्र के उन गहरे उपदेशों की व्याख्या की है, जिनमें वे अनुमान और अनुभव के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हैं। ओशो बताते हैं कि अनुमान केवल मानसिक प्रक्रिया है, जो हमें सच्चाई से दूर ले जाती है, जबकि अनुभव वह वास्तविकता है, जो हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाती है। इस भाग में, ओशो ने समझाया है कि आध्यात्मिक जीवन में अनुमान से अधिक महत्वपूर्ण अनुभव होता है, और अनुभव ही सच्चे ज्ञान की कुंजी है।
अनुमान और अनुभव का महत्व: ओशो इस भाग में समझाते हैं कि अनुमान एक भ्रांति है, जो व्यक्ति को भ्रम में रखता है। वहीं, अनुभव वास्तविक है और व्यक्ति को सच्चाई के करीब लाता है। अनुमान एक बाहरी प्रक्रिया है, जबकि अनुभव आंतरिक सत्य का साक्षात्कार है।
अष्टावक्र के विचार: अष्टावक्र के अनुसार, अनुभव ही सच्चा ज्ञान है। अनुमान के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में भ्रम और विक्षेप उत्पन्न करता है, जबकि अनुभव से उसे वास्तविकता का बोध होता है। इस भाग में, अष्टावक्र बताते हैं कि आत्म-साक्षात्कार केवल अनुभव के माध्यम से ही संभव है, और यही अनुभव व्यक्ति को मुक्ति की ओर ले जाता है।
लेखक के बारे में
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
अष्टावक्र गीता में क्या लिखा गया है?
अष्टावक्र गीता अद्वैत वेदान्त का ग्रन्थ है, जिसमें ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के बीच संवाद के माध्यम से ज्ञान, वैराग्य, मुक्ति और समाधिस्थ योगी की दशा का विस्तृत वर्णन है।
u003cstrongu003eअष्टावक्र गीता में कितने श्लोक हैं?u003c/strongu003e
अष्टावक्र गीता में कुल 86 श्लोक हैं, जो महाभारत के आरण्यक पर्व के तीन अध्यायों में स्थित हैं।
u003cstrongu003eयह अष्टावक्र गीता अन्य ग्रंथों से कैसे अलग है?u003c/strongu003e
अष्टावक्र गीता भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के समान अमूल्य है, लेकिन इसका फोकस विशेष रूप से अद्वैत वेदान्त और व्यक्तिगत अनुभव पर है।
u003cstrongu003eइस अष्टावक्र गीता का महत्व क्या है?u003c/strongu003e
यह ग्रंथ आत्मज्ञान और मुक्ति की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण शिक्षाएँ प्रदान करता है और जीवन के गहन अर्थों को समझने में मदद करता है।
u003cstrongu003eओशो इस अष्टावक्र गीता के बारे में क्या सिखाते हैं?u003c/strongu003e
ओशो ने u0022अष्टावक्र महागीताu0022 को आत्मज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत बताया है। उनका मानना है कि यह ग्रंथ अनुभव और सत्य की खोज पर जोर देता है, जिससे व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।