₹175.00 Original price was: ₹175.00.₹174.00Current price is: ₹174.00.
जो पुराना है वह जाएगा। जो मृत है वह गिरेगा, क्योंकि धर्मयुद्ध छेड़ दिया है ओशो ने। और यह धर्मयुद्ध धर्म की जीत तक, धर्म की स्थापना तक चलने वाला है। यह युद्ध कोई दो देशों के बीच का युद्ध नहीं है कि इसमें कोई समझौता हो जाए। यह तो अंत तक चलने वाला है और अंततः धर्म जीतेगा, सत्य जीतेगा, यह संन्यासी योद्धा जीतेगा। यह तय है। इस धर्मयुद्ध को छिड़े करीब बीस वर्ष बीत गए हैं, इस तरह हिसाब लगाते हैं तो कभी-कभी दुशिंचता होती है कि अबतक तो लगभग आधी मनुष्यता को खबर लग जानी चाहिए थी कि यह संन्यासी योद्धा हमारा शत्रु नहीं बल्कि परम मित्र है। यह हमारी बेड़ियां काटने वाला मुक्तिदाता है। इस खबर के न लगने से बड़ा अहित हुआ है। मनुष्य जाति के इस अहित के लिए जिम्मेदार हैं वे लोग जो संचार माध्यमों पर कुंडली मारे बैठे हैं।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
संभोग से समाधि की ओर भाग-3: नारी और क्रांति में ओशो नारी के क्रांतिकारी दृष्टिकोण को स्वतंत्रता, प्रेम, और आध्यात्मिकता से जोड़ते हैं, जो समाज के पारंपरिक ढांचे को चुनौती देता है।
संभोग से समाधि की ओर भाग-3: नारी और क्रांति पुस्तक में नारी सशक्तिकरण का महत्व आध्यात्मिक विकास और समाज में नई चेतना के प्रसार के संदर्भ में देखा गया है।
संभोग से समाधि की ओर भाग-3: नारी और क्रांति में ओशो ने महिलाओं की स्वतंत्रता को आत्म-जागृति, प्रेम, और आध्यात्मिकता की स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया है, जो उन्हें वास्तविक मुक्ति की ओर ले जाती है।
इस पुस्तक में स्त्रीत्व की आध्यात्मिकता को स्त्री की आंतरिक शक्ति, उसकी प्रेमपूर्ण ऊर्जा और समाज में उसकी क्रांतिकारी भूमिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
ओशो के अनुसार, संभोग से समाधि की ओर भाग-3: नारी और क्रांति में स्त्री-पुरुष संबंध तब बदल सकते हैं, जब दोनों एक-दूसरे को स्वतंत्रता, प्रेम और समानता के दृष्टिकोण से समझें और स्वीकारें।
Weight | 160 g |
---|---|
Dimensions | 21.6 × 14 × 0.7 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8171824234 |
Pages | 240 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8171824234 |
संभोग से समाधि की ओर भाग-3: नारी और क्रान्ति ओशो की एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जो नारी की भूमिका को यौनिकता और आध्यात्मिकता के संदर्भ में प्रस्तुत करती है। इसमें नारी की स्वतंत्रता और समाज में उसकी भूमिका पर गहन चर्चा की गई है। ओशो ने यौनिकता को आध्यात्मिकता का हिस्सा बताते हुए, नारी के लिए यौनिकता से समाधि तक पहुँचने का मार्ग दिखाया है। यह पुस्तक स्त्री और समाज के लिए क्रांतिकारी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
ISBN10: 8171824234
Diamond Books, Books, Business and Management, Economics
Self Help, Books, Diamond Books