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सत्य न तो नया है न पुराना। जो नया है, वह पुराना हो जाता है। जो पुराना है, वह कभी नया था जो नये से पुराना होता है, वह जन्म से मृत्यु की ओर ले जाताहै। सत्य का न कोई जन्म है, न कोई मृत्यु है। इसलिए सत्य न नया हो सकता है, न पुराना हो सकता है। सत्य सनातन है। सनातन का अर्थ, सत्य समय के बाहर है, बियांड टाइम है। वस्तुत समय के भीतर जो भी है, वह नया भी होगा और पुराना भी होगा। समय के भीतर जो है, वह पैदा होगा और मरेगा भी, जवान भी होगा और बूढ़ा भी होगा। कभी स्वस्थ भी होगा और कभी अस्वस्थ भी होगा। समय के भीतर जो है, वह परिवर्तन होगा, समय के बाहर जो है, वही अपरिवर्तित हो सकता है।
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान का मुख्य विषय भगवद्गीता के श्लोकों में छिपे मनोविज्ञान को समझाना है, जो व्यक्ति के मानसिक और आध्यात्मिक विकास में सहायक है।
हां, सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान में भगवद्गीता के श्लोकों की व्याख्या मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से की गई है।
सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान में मन की शांति और तनाव प्रबंधन के लिए भगवद्गीता के श्लोकों का उपयोग करने के तरीकों पर विस्तृत चर्चा की गई है।
हां, सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान आध्यात्मिक साधकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है, क्योंकि इसमें मानसिक और आत्मिक उन्नति के लिए गीता के सिद्धांतों को समझाया गया है।
सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान उन पाठकों के लिए उपयुक्त है, जो मनोविज्ञान, आध्यात्मिकता और गीता के गूढ़ रहस्यों को समझना चाहते हैं।
सनातन सत्य भगवद्गीता का मनोविज्ञान में मानसिक विकास के लिए आत्म-नियंत्रण, ध्यान और योग के सिद्धांतों पर विशेष जोर दिया गया है।
Weight | 360 g |
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Dimensions | 21.56 × 13.97 × 1.68 cm |
Author | Osho |
ISBN | 8189605712 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8189605712 |
सनातन सत्य: भगवद्गीता का मनोविज्ञान गीता के शाश्वत सत्य और उनके मनोवैज्ञानिक पहलुओं का विश्लेषण करती है। यह पुस्तक जीवन की कठिनाइयों, मानसिक संतुलन, और आत्मज्ञान की गीता के दृष्टिकोण को सरल भाषा में प्रस्तुत करती है। गीता के श्लोकों की व्याख्या के माध्यम से यह ग्रंथ पाठकों को जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त करने के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।
ISBN10:8189605712
Religions & Philosophy, Books, Diamond Books, Religious