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अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल

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अष्टावक्र की गीता को मैंनें यू ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है; बहुत देर करके चुना है- -सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कुष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था। बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड़ से छुटकारा पाया है। अब तो थोड़े-से विवेकानंद यहां हैं। अब तो उनसे बात करनी है, जिनकी बड़ी संभावना है। उन थोड़े-से लोगों के साथ मेहनत करनी है, जिनके साथ मेहनत का परिणाम हो सकता है। अब हीरे तराशने हैं, कंकड़-पत्थरों पर यह छैनी खराब नहीं करनी। इसलिए चुनी है अष्टावक्र की गीता। तुम तैयार हुए हो, इसलिए चुनी है।

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अष्‍टवक्र महागीता भाग 2 दुख का मूल
300.00 Original price was: ₹300.00.299.00Current price is: ₹299.00.

अष्टावक्र की गीता को मैंनें यू ही नहीं चुना है। और जल्दी नहीं चुना है; बहुत देर करके चुना है- -सोच-विचार के। दिन थे जब मैं कुष्ण की गीता पर बोला, क्योंकि भीड़-भाड़ मेरे पास थी। भीड़-भाड़ के लिए अष्टावक्र गीता का कोई अर्थ न था। बड़ी चेष्टा करके भीड़-भाड़ से छुटकारा पाया है। अब तो थोड़े-से विवेकानंद यहां हैं। अब तो उनसे बात करनी है, जिनकी बड़ी संभावना है। उन थोड़े-से लोगों के साथ मेहनत करनी है, जिनके साथ मेहनत का परिणाम हो सकता है। अब हीरे तराशने हैं, कंकड़-पत्थरों पर यह छैनी खराब नहीं करनी। इसलिए चुनी है अष्टावक्र की गीता। तुम तैयार हुए हो, इसलिए चुनी है।

पुस्तक का परिचय:

अष्टावक्र महागीता भाग 2 जीवन के दुख और मुक्ति के गहन रहस्यों को उजागर करती है। अष्टावक्र के उपदेशों के माध्यम से यह पुस्तक आत्मज्ञान और शांति की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करती है।

अष्टावक्र के उपदेश:

इस पुस्तक में अष्टावक्र गीता के प्रमुख सिद्धांतों का विस्तार से वर्णन है, जिसमें जीवन के दुख, इच्छाओं और अहंकार से मुक्ति पाने के उपदेश शामिल हैं।

दुख का मूल और समाधान:

पुस्तक में यह समझाया गया है कि हमारे दुख का मुख्य कारण हमारी गलत धारणाएँ और भ्रम हैं। इसे दूर करने के लिए आत्म-चिंतन, ध्यान, और आत्मज्ञान की आवश्यकता होती है।

मुक्ति का मार्ग:

अष्टावक्र गीता के उपदेशों के अनुसार, जीवन में मुक्ति पाने का मार्ग अहंकार से मुक्ति, आत्मज्ञान, और ध्यान में है। यह पुस्तक उन सिद्धांतों को विस्तार से समझाती है।

क्यों पढ़ें अष्टावक्र महागीता भाग 2:

जो लोग आत्मज्ञान और मुक्ति की तलाश में हैं, उनके लिए यह पुस्तक एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक है। यह पुस्तक दुख के कारणों को समझने और जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त करने के उपाय बताती है।

Additional information

Weight 0.175 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.5 cm
Author

Osho

ISBN

818960578X

Pages

204

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Fusion Books

ISBN 10

818960578X

FAQs

अष्टावक्र महागीता भाग 2 किस बारे में है?
अष्टावक्र महागीता भाग 2 जीवन के दुख के मूल कारण और उससे मुक्ति पाने के मार्ग पर केंद्रित है। यह पुस्तक अष्टावक्र गीता के उपदेशों को विस्तार से समझाती है, जो हमें आत्मज्ञान की ओर ले जाते हैं।
अष्टावक्र गीता का क्या महत्व है?
अष्टावक्र गीता एक प्राचीन ग्रंथ है, जिसमें आत्मज्ञान और मुक्ति के लिए गहरे आध्यात्मिक सिद्धांत दिए गए हैं। अष्टावक्र ने राजा जनक को दिए गए अपने उपदेशों के माध्यम से जीवन की वास्तविकता, अहंकार से मुक्ति और ध्यान के महत्व पर जोर दिया है।
इस पुस्तक में दुख का मूल कारण क्या बताया गया है?
इस पुस्तक में बताया गया है कि दुख का मूल कारण हमारी इच्छाएँ, गलत धारणाएँ और अहंकार हैं। ये सब हमें भ्रमित करते हैं और हमें वास्तविकता से दूर रखते हैं, जिसके कारण हम दुख में जीते हैं।
क्या यह पुस्तक सभी के लिए उपयुक्त है?
हाँ, अष्टावक्र महागीता भाग 2 उन सभी के लिए उपयुक्त है जो आत्मज्ञान, ध्यान और मुक्ति की दिशा में गहरे आध्यात्मिक ज्ञान की खोज कर रहे हैं। यह पुस्तक सभी आयु वर्ग के पाठकों के लिए प्रेरणादायक और मार्गदर्शक है।
इस पुस्तक को पढ़कर मुझे क्या लाभ होगा?
यह पुस्तक आपको जीवन के दुख और उसके मूल कारणों को समझने में मदद करेगी। इसके माध्यम से आप आत्म-बोध, शांति, और ध्यान के मार्ग पर चलकर जीवन में संतुलन और मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।