पुस्तक के बारे में
हम जी रहे हैं, हमारे चारों ओर फैला विराट अस्तित्व जी रहा है, लेकिन कभी इस चमत्कार के प्रति हमारे मन में कुतूहल नहीं उठता! कभी-कभी कोई बिरला व्यक्ति इस जगत के प्रति विस्मय भाव से भर उठता है। इसका रहस्य खोलने की जिज्ञासा उसके प्राणों को आग की तरह पकड़ लेती है। और वह अपने को लुटा देता है इस खोज पर।
रहस्य खुलता तो नहीं बल्कि और घना होता जाता है। और खोजते-खोजते अंततः खोजने वाला इस रहस्य में इस कदर समा जाता है कि खुद रहस्य बन जाता है।
और वह चलता-फिरता रहस्य जब भरे बाजार में आकर सोये हुए लोगों को जगाने लगता है तो नींद से अलसायी आंखें खोलकर वे नाराजगी से देखने की कोशिश करते हैं: कौन है यह? इसे क्या हक है हमें जगाने का? दिखता तो हमारे जैसा है, फिर भी बड़ा भिन्न है। लेकिन जहां तर्क हथियार डाल देता है, बद्धि का सरज डब जाता है और मन की चिता जलती है, उस पार जाकर ओशो रजनीश जैसे सिद्धों की सष्टि शरू होती है। इसलिये अगर सच में ही ओशो रजनीश का परिचय पाना हो तो तत्काल अपने को पहचानने की यात्रा पर निकल पड़ना।
लेखक के बारे में
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
सहजै रहिबा में गोरखनाथ के आध्यात्मिक सिद्धांतों का विवरण क्या है?
सहजै रहिबा में गोरखनाथ के गूढ़ आध्यात्मिक सिद्धांतों और उनके सहज योग पर प्रकाश डाला गया है।
क्या सहजै रहिबा के विचार आज के जीवन में प्रासंगिक हैं?
हां, सहजै रहिबा के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, क्योंकि ये सरलता और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करते हैं।
गोरख वाणी किसकी रचना है?
गोरख वाणी योगी गोरखनाथ की रचना है। गोरखनाथ, नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख संत और योगी थे, जिन्होंने भारतीय दर्शन और योग की प्राचीन विधियों को सरल और व्यावहारिक रूप में प्रस्तुत किया। उनकी रचनाओं में ध्यान, साधना, आत्म-ज्ञान और भगवान के साथ एकत्व की बात की गई है। गोरख वाणी उनके ज्ञान और उपदेशों का संग्रह है, जिसमें जीवन के गहरे रहस्यों को समझाने की कोशिश की गई है।
गोरख वाणी के रचयिता कौन थे?
गोरख वाणी के रचयिता योगी गोरखनाथ थे। वे नाथ सम्प्रदाय के महान योगी और संत थे, जिन्होंने योग और साधना के गहरे सिद्धांतों को प्रसारित किया। गोरखनाथ की रचनाएं विशेष रूप से आत्मज्ञान, साधना, और जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझाने वाली होती हैं। गोरख वाणी में उनकी उपदेशों और शिक्षाओं का संकलन किया गया है, जो आज भी योगियों और साधकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
सहजै रहिबा का क्या अर्थ है?
सहजै रहिबा का अर्थ है अपने स्वाभाविक रूप में रहना। इसका मतलब है कि व्यक्ति अपने जीवन को बिना किसी बनावट के, सरल और सच्चाई के साथ जीने का प्रयास करता है।
गोरख वाणी का अध्ययन करने से क्या लाभ होता है?
गोरख वाणी का अध्ययन करने से व्यक्ति को जीवन में शांति, संतुलन और आत्म-ज्ञान प्राप्त होता है। यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर मार्गदर्शन करता है।