Mahaveer Vani No 2 -( महावीर-वाणी भाग 2 )
₹600.00 Original price was: ₹600.00.₹599.00Current price is: ₹599.00.
- About the Book
- Book Details
“पुस्तक के बारे में”
महावीर-वाणी भाग 2 में ओशो ने भगवान महावीर के उपदेशों और उनके जीवन के गहरे अर्थों पर विचार प्रस्तुत किए हैं। इस पुस्तक में ओशो ने महावीर के विचारों, अहिंसा, अपरिग्रह और आत्म-ज्ञान के सिद्धांतों की व्याख्या की है। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-अनुशासन और ध्यान के माध्यम से अपने भीतर झांकने और महावीर के बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। ओशो ने महावीर की वाणी को आधुनिक संदर्भ में व्याख्यायित करते हुए ध्यान और आंतरिक शांति की बात कही है।
“लेखक के बारे में”
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
महावीर-वाणी भाग 2 में अहिंसा का क्या महत्व है?
इस पुस्तक में अहिंसा को मानव जीवन का एक प्रमुख सिद्धांत बताया गया है। भगवान महावीर के अनुसार, अहिंसा से न केवल दूसरों को, बल्कि आत्मा को भी शांति और मुक्ति प्राप्त होती है। यह पुस्तक अहिंसा के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारी देती है।
क्या महावीर-वाणी भाग 2 आधुनिक जीवन में भी प्रासंगिक है?
हां, महावीर-वाणी भाग 2 के सिद्धांत जैसे अहिंसा, सत्य, और अपरिग्रह आज के जीवन में भी अत्यंत प्रासंगिक हैं। ये सिद्धांत हमें शांतिपूर्ण जीवन जीने, भौतिक वस्तुओं के प्रति मोह कम करने और संतुलित जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा देते हैं।
महावीर-वाणी भाग 2 में संयम का क्या महत्व बताया गया है?
इस पुस्तक में संयम को आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का महत्वपूर्ण साधन बताया गया है। भगवान महावीर के उपदेशों के अनुसार, संयम से इच्छाओं पर काबू पाकर व्यक्ति अपने जीवन को शांति और संतुलन की ओर ले जा सकता है।
क्या महावीर-वाणी भाग 2 बच्चों के लिए भी उपयोगी है?
हां, इस पुस्तक में दिए गए नैतिक और आध्यात्मिक सिद्धांत जैसे अहिंसा, सत्य और आत्म-अनुशासन बच्चों को एक सशक्त और नैतिक जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। यह उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करती है।
महावीर-वाणी भाग 2 में भगवान महावीर की कौन-सी मुख्य शिक्षाएं शामिल हैं?
इस पुस्तक में भगवान महावीर की मुख्य शिक्षाएं, जैसे पंचशील सिद्धांत (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह), आत्मा की शुद्धि और ध्यान के माध्यम से मुक्ति प्राप्त करने के मार्ग पर विशेष जोर दिया गया है।
महावीर-वाणी भाग 2 का अध्ययन करने के लिए क्या कोई विशेष योग्यता चाहिए?
नहीं, इस पुस्तक का अध्ययन करने के लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है। इसे कोई भी पढ़ सकता है जो भगवान महावीर की शिक्षाओं और जैन धर्म के सिद्धांतों को समझना और अपने जीवन में अपनाना चाहता है।
Additional information
Weight | 698 g |
---|---|
Dimensions | 19.8 × 12.9 × 3.4 cm |
Author | Osho |
Pages | 228 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8184193327 |
मैं सभी परंपराओं के शब्दों का उपयोग करता हूं, जो शब्द समझ में आ जाए। कभी पुराने की भी बात करता हूं, शायद पुराने से किसी को समझ में आ जाए। कभी नये की भी बात करता हूं, शायद नये से किसी को समझ में आ जाए। और साथ ही यह भी निरंतर स्मरण दिलाते रहना चाहता हूं कि नया और पुराना सत्य नहीं होता। सत्य आकाश की तरह शाश्वत है। उसमें वृक्ष लगते हैं आकाश में, खिलते हैं, फूल आते हैं। वृक्ष गिर जाते हैं। वृक्ष पुराने, बूढ़े हो जाते हैं। वृक्ष बहचे और जवान होते हैं-आकाश नहीं होता। एक बीज हमने बोया और अंकुर फूटा। अंकुर बिलकुल नया है, लेकिन जिस आकाश में फूटा, वह आकाश? फिर बड़ा हो गया वृक्षा फिर जराजीर्ण होने लगा। मृत्यु के करीब आ गया वृक्षा वृक्ष बूढ़ा है, लेकिन आकाश जिसमें वह हुआ है, वह आकाश बूढ़ा है? ऐसे कितने ही वृक्ष आए और गए, और आकाश अपनी जगह है-अछूता, निर्लेप। सत्य तो आकाश जैसा है। शब्द वृक्षों जैसे हैं। लगते हैं, अंकुरित होते हैं, पल्लवित होते हैं, खिल जाते हैं, मुरझाते हैं, गिरते हैं, मरते हैं, जमीन में खो जाते हैं। आकाश अपनी जगह ही खड़ा रह जाता है! पुराने वालों का जोर भी शब्दों पर था और नये वालों का जोर भी शब्दों पर है। मैं शब्द पर जोर ही नहीं देना चाहता हूं। मैं तो उस आकाश पर जोर देना चाहता हूं जिसमें शब्द के फूल खिलते हैं, मरते हैं, खोते हैं और आकाश बिलकुल ही अछूता रह जाता है, कहीं कोई रेखा भी नहीं छूट जाती।
ISBN10- -8184193327
ISBN10-8184193327
Customers Also Bought
-
Business and Management, Religions & Philosophy
₹200.00Original price was: ₹200.00.₹160.00Current price is: ₹160.00. Add to cart -
Hinduism, Books, Diamond Books
₹175.00Original price was: ₹175.00.₹174.00Current price is: ₹174.00. Add to cart