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Mahaveer Vani No 2 by Osho-(महावीर-वाणी भाग 2)

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मैं सभी परंपराओं के शब्दों का उपयोग करता हूं, जो शब्द समझ में आ जाए। कभी पुराने की भी बात करता हूं, शायद पुराने से किसी को समझ में आ जाए। कभी नये की भी बात करता हूं, शायद नये से किसी को समझ में आ जाए। और साथ ही यह भी निरंतर स्मरण दिलाते रहना चाहता हूं कि नया और पुराना सत्य नहीं होता। सत्य आकाश की तरह शाश्वत है। उसमें वृक्ष लगते हैं आकाश में, खिलते हैं, फूल आते हैं। वृक्ष गिर जाते हैं। वृक्ष पुराने, बूढ़े हो जाते हैं। वृक्ष बहचे और जवान होते हैं-आकाश नहीं होता। एक बीज हमने बोया और अंकुर फूटा। अंकुर बिलकुल नया है, लेकिन जिस आकाश में फूटा, वह आकाश? फिर बड़ा हो गया वृक्षा फिर जराजीर्ण होने लगा। मृत्यु के करीब आ गया वृक्षा वृक्ष बूढ़ा है, लेकिन आकाश जिसमें वह हुआ है, वह आकाश बूढ़ा है? ऐसे कितने ही वृक्ष आए और गए, और आकाश अपनी जगह है-अछूता, निर्लेप। सत्य तो आकाश जैसा है। शब्द वृक्षों जैसे हैं। लगते हैं, अंकुरित होते हैं, पल्लवित होते हैं, खिल जाते हैं, मुरझाते हैं, गिरते हैं, मरते हैं, जमीन में खो जाते हैं। आकाश अपनी जगह ही खड़ा रह जाता है! पुराने वालों का जोर भी शब्दों पर था और नये वालों का जोर भी शब्दों पर है। मैं शब्द पर जोर ही नहीं देना चाहता हूं। मैं तो उस आकाश पर जोर देना चाहता हूं जिसमें शब्द के फूल खिलते हैं, मरते हैं, खोते हैं और आकाश बिलकुल ही अछूता रह जाता है, कहीं कोई रेखा भी नहीं छूट जाती।

ISBN10-8184193327

Mahaveer Vani No 2 Hindi(HB)-0
Mahaveer Vani No 2 by Osho-(महावीर-वाणी भाग 2)
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Mahaveer Vani No 2 By Osho-(महावीर-वाणी भाग 2)

महावीर-वाणी भाग 2 में ओशो ने भगवान महावीर के उपदेशों और उनके जीवन के गहरे अर्थों पर विचार प्रस्तुत किए हैं। इस पुस्तक में ओशो ने महावीर के विचारों, अहिंसा, अपरिग्रह और आत्म-ज्ञान के सिद्धांतों की व्याख्या की है। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-अनुशासन और ध्यान के माध्यम से अपने भीतर झांकने और महावीर के बताए हुए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। ओशो ने महावीर की वाणी को आधुनिक संदर्भ में व्याख्यायित करते हुए ध्यान और आंतरिक शांति की बात कही है।

About the Author

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

महावीर-वाणी भाग 2′ में किस प्रकार के उपदेश दिए गए हैं?

इस पुस्तक में भगवान महावीर के उपदेशों पर चर्चा की गई है, जिसमें अहिंसा, अपरिग्रह और आत्म-ज्ञान के सिद्धांत शामिल हैं। ओशो ने इन उपदेशों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत किया है।

क्या यह पुस्तक भगवान महावीर के जीवन पर आधारित है?

हाँ, यह पुस्तक भगवान महावीर के जीवन और उनके उपदेशों पर आधारित है। इसमें महावीर की वाणी और उनके सिद्धांतों की गहन व्याख्या की गई है।

क्या यह पुस्तक ध्यान और आत्म-ज्ञान पर केंद्रित है?

हाँ, इस पुस्तक में ध्यान और आत्म-ज्ञान के महत्व पर विशेष जोर दिया गया है। ओशो ने महावीर के उपदेशों के माध्यम से आत्म-अनुशासन और आंतरिक शांति की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

क्या यह पुस्तक महावीर के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करती है?

हाँ, ओशो ने महावीर के सिद्धांतों को आज के समय के संदर्भ में प्रस्तुत किया है, ताकि पाठक उन विचारों को अपने जीवन में लागू कर सकें।

महावीर-वाणी भाग 2′ किसके लिए उपयुक्त है?

यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो भगवान महावीर के उपदेशों और ध्यान, अहिंसा, अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों में रुचि रखते हैं और आत्म-ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।

महावीर-वाणी भाग 2′ का मुख्य उद्देश्य क्या है?

इस पुस्तक का मुख्य उद्देश्य भगवान महावीर के उपदेशों और सिद्धांतों को पाठकों तक पहुंचाना और उन्हें आत्म-ज्ञान और ध्यान की दिशा में मार्गदर्शन देना है।

Additional information

Weight 698 g
Dimensions 19.8 × 12.9 × 3.4 cm
Author

Osho

Pages

228

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8184193327