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Krishan Guru Bhi Sakha Bhi (कृष्‍ण गुरु भी सखा भी)

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पुस्तक के बारे में

कृष्ण: गुरु भी, सखा भी ओशो द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनकी शिक्षाओं, और उनके गुरु और सखा के रूपों पर आधारित एक गहन आध्यात्मिक व्याख्या है। इस पुस्तक में ओशो भगवान श्रीकृष्ण को केवल एक देवता या राजा के रूप में नहीं, बल्कि एक गुरु, एक सखा, और एक मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

ओशो के अनुसार, श्रीकृष्ण जीवन की पूर्णता के प्रतीक हैं – वे प्रेम, योग, और युद्ध के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। कृष्ण: गुरु भी, सखा भी में ओशो ने श्रीकृष्ण के जीवन की विभिन्न घटनाओं और उनके उपदेशों का आधुनिक संदर्भ में विश्लेषण किया है, जो आज भी जीवन की जटिलताओं को समझने और उसका सामना करने में उपयोगी है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

कृष्ण को गुरु और सखा दोनों के रूप में क्यों देखा गया है?

ओशो बताते हैं कि कृष्ण न केवल एक महान गुरु थे जिन्होंने अर्जुन को गीता के माध्यम से जीवन की गहरी सच्चाइयों का ज्ञान दिया, बल्कि वह एक सखा (मित्र) भी थे, जिन्होंने जीवन का आनंद लेने, प्रेम और रिश्तों को महत्व देने की प्रेरणा दी।

क्या कृष्ण: गुरु भी, सखा भी भगवद् गीता पर आधारित है?

हाँ, इस पुस्तक में भगवद् गीता की शिक्षाओं को भी विस्तार से समझाया गया है। ओशो ने गीता के दार्शनिक विचारों को सरल और समझने योग्य भाषा में प्रस्तुत किया है।

क्या कृष्ण: गुरु भी, सखा भी को पढ़ने के लिए भगवद् गीता की पृष्ठभूमि का ज्ञान आवश्यक है?

नहीं, ओशो ने गीता और कृष्ण की शिक्षाओं को इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी विशेष ज्ञान के इसे आसानी से समझ सकता है

कृष्ण की जीवनशैली से हमें क्या सीखने को मिलता है?

कृष्ण की जीवनशैली से हम सीखते हैं कि आनंद और जिम्मेदारी को संतुलित करके जीवन जीना चाहिए। उन्होंने प्रेम, मित्रता और धर्म के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को कभी नजरअंदाज नहीं किया, और उन्होंने अपने जीवन के हर पहलू में संतुलन बनाए रखा।

क्या कृष्ण: गुरु भी, सखा भी मुझे ध्यान और मानसिक शांति की दिशा में मार्गदर्शन दे सकती है?

हाँ, यह पुस्तक आपको ध्यान और मानसिक शांति के मार्ग पर ले जाती है। ओशो ने कृष्ण की शिक्षाओं के माध्यम से आंतरिक शांति पाने के लिए ध्यान और आत्म-अन्वेषण के उपाय सुझाए हैं।

Additional information

Weight 210 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 0.96 cm
Author

Osho

ISBN

8128804944

Pages

384

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128804944

ओशो मनुष्य की जो चरम संभावना है, वह ओशो में संभव हुई है। वे मनुष्य में बसी भगवत्ता के गौरीशंकर हैं। वे स्वयं भगवत्ता हैं। ओशो श्री जगत और जीवन को उसकी परिपूर्णता में स्वीकारते हैं। वे पृथ्वी और स्वर्ग, चार्वाक और बुद्ध को जोड़ने वाले पहले सेतु हैं। उनके हाथों पहली बार अखंडित धर्म का, वैज्ञानिक धर्म का, जागरूक धर्म का प्रसार हो रहा है। यही कारण है कि जीवन-निष्ठ पर खड़े अतीत के सभी धर्म उनके विरोध में संयुक्त होकर खड़े हैं। ओशो श्री व्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रथम मूल्य देते हैं। धर्म नहीं, धार्मिकता उनका मौलिक स्वर है। उनके अब तक बोले वचनों की 500 पुस्तकें बन चुकी हैं और दुनिया की 35 से अधिक भाषाओं में अनुवादित-प्रकाशित हो रही हैं। सारी दुनिया में श्रेष्ठतम वैज्ञानिक, कलाकार और चेतना के खोजी ओशो द्वारा दिशा निर्देशित “वर्ल्ड अकादमी ऑफ क्रिएटिव साइंस, आर्ट्स एंड कांसियसनेस” में सम्मिलित हो रहे हैं और अपनी सारी ऊर्जा को सृजनशील में नियोजित कर रहे हैं। हंसते-गाते, उत्सव मनाते ये सृजनशील व्यक्ति “क्षण-क्षण जीने की कला” सीख रहे हैं और इसी दुनिया को स्वर्ग में रूपांतरित कर देने के आधार बन रहे हैं।

ISBN10-8128804944

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