काका के चुटकुले

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काका हाथरसी ने अपने जीवन-काल में हास्‍यरस को भरपूर लिया था। वे और हास्‍यरस आपस में इतने घुलमिल गए हैं कि हास्‍यरस कहते ही उनका चित्र सामने आ जाता है।
उन्‍होंने कवि सम्‍मेलनों, गोष्ठियों, रेडियो और टी.वी. के माध्‍यम से हास्‍य-कविता और चुटकुलों के साथ ही हिंदी के प्रसार में अविस्‍मरणीय योगदान दिया। उन्‍होंने साधारण जनता के लिए सीधी और सरल भाषा में ऐसी रचनाएं लिखीं, जिन्‍होंने देश और विदश में बसे हुए करोड़ों हिन्‍दी-प्रेमियों के हृदय को छुआ।
काका के चुटकुले एक नएं ढंग की पुस्‍तक हैं, इन तमाम चुटकुलों को अनेक गोष्ठियों में सुनाया जा चुका है। इन गोष्ठियों में श्रोताओं द्वारा समाज, राजनीति, कला, धर्म संस्‍कृति और जीवन के अनेक पहलुओं पर हास्‍य-भरे चुटकुले बनते गए हैं।
काका हाथरसी

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काका हाथरसी ने अपने जीवन-काल में हास्‍यरस को भरपूर लिया था। वे और हास्‍यरस आपस में इतने घुलमिल गए हैं कि हास्‍यरस कहते ही उनका चित्र सामने आ जाता है।
उन्‍होंने कवि सम्‍मेलनों, गोष्ठियों, रेडियो और टी.वी. के माध्‍यम से हास्‍य-कविता और चुटकुलों के साथ ही हिंदी के प्रसार में अविस्‍मरणीय योगदान दिया। उन्‍होंने साधारण जनता के लिए सीधी और सरल भाषा में ऐसी रचनाएं लिखीं, जिन्‍होंने देश और विदश में बसे हुए करोड़ों हिन्‍दी-प्रेमियों के हृदय को छुआ।
काका के चुटकुले एक नएं ढंग की पुस्‍तक हैं, इन तमाम चुटकुलों को अनेक गोष्ठियों में सुनाया जा चुका है। इन गोष्ठियों में श्रोताओं द्वारा समाज, राजनीति, कला, धर्म संस्‍कृति और जीवन के अनेक पहलुओं पर हास्‍य-भरे चुटकुले बनते गए हैं।
काका हाथरसी

Additional information

Author

Kaka Hathrasi

ISBN

8128810227

Pages

160

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8128810227