श्रीमद्भागवत के रचयिता महर्षि व्यास जी ने इस महान धार्मिक ग्रंथ को अपने अट्ठारह पुराणों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया है उनका स्वयं का कथन है कि जब उन्हें पुराणों की रचना के बाद भी शांति नहीं मिली तो उन्होंने श्रीमद् भागवत की रचना की और तब जाकर उन्हें परम शांति का अनुभव हुआ। वैसे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि भागवत के दर्शन अथवा शब्द उच्चारण मात्र से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं –इसलिए जन सामान्य श्रद्धापूर्वक अपनी सुविधानुसार पठन, पाठन एवं श्रवण कर इसका समुचित लाभ उठा सकते हैं। पाठकों की सुविधा के लिए इस वृहत् ग्रंथ को हमने सरल शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
कृष्णलीला की कथाएं
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श्रीमद्भागवत के रचयिता महर्षि व्यास जी ने इस महान धार्मिक ग्रंथ को अपने अट्ठारह पुराणों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया है उनका स्वयं का कथन है कि जब उन्हें पुराणों की रचना के बाद भी शांति नहीं मिली तो उन्होंने श्रीमद् भागवत की रचना की और तब जाकर उन्हें परम शांति का अनुभव हुआ। वैसे भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि भागवत के दर्शन अथवा शब्द उच्चारण मात्र से ही वे प्रसन्न हो जाते हैं –इसलिए जन सामान्य श्रद्धापूर्वक अपनी सुविधानुसार पठन, पाठन एवं श्रवण कर इसका समुचित लाभ उठा सकते हैं। पाठकों की सुविधा के लिए इस वृहत् ग्रंथ को हमने सरल शब्दों में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
Additional information
Author | Narayan Sharma |
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ISBN | 8128811231 |
Pages | 24 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Jr Diamond |
ISBN 10 | 8128811231 |