अगर तुम भी प्रभु के प्रेम के प्यासे हो, तो उससे मिले बिना रुकना मत। तलाश जारी रखना, छोड़ना नहीं। साधना जारी रखना, छोड़ना नहीं। ध्यान जारी रखना, छोड़ना नहीं। सिमरन जारी रखना, उसे छोड़ मत देना। अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले अगर तुम रुक गए, तो समझ् लो, फिर जिंदगी तुम्हारी बेकार गई। क्या मिला फिर।
प्रेम की प्यास
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अगर तुम भी प्रभु के प्रेम के प्यासे हो, तो उससे मिले बिना रुकना मत। तलाश जारी रखना, छोड़ना नहीं। साधना जारी रखना, छोड़ना नहीं। ध्यान जारी रखना, छोड़ना नहीं। सिमरन जारी रखना, उसे छोड़ मत देना। अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले अगर तुम रुक गए, तो समझ् लो, फिर जिंदगी तुम्हारी बेकार गई। क्या मिला फिर।
ISBN10-8128815105
Additional information
Author | Anandmurti Guru Maa |
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ISBN | 8128815105 |
Pages | 64 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128815105 |
SKU
9788128815102
Category Indian Philosophy
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