धीरुभाई की कहानी ‘बूंद से सागर’ बनने तक की सुंदर कहानी है, उनकी जीवन यात्रा गुजरात के एक छोटे से गांव से शुरु होकर भारत में सबसे पहली निजी स्वामित्व वाली 500 फार्च्यून कंपनियों के संस्थापक पद तक रही। उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की किंतु फिर भी वे अपनी चतुर व्यावसायिक बुद्धि व उदध्म कौशल के लिए जाने जाते थे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि धीरुभाई का कार्य-दर्शन उनके समकालीनों से बिलकुल अलग था। यह पुस्तक धीरुभाई के जीवन या उन्होंने अपना व्यावससायिक साम्राज्य कैसे बनाया, इस विषय पर नहीं लिखी गई है। लेखक ने धीरुभाई में उन असाधारण अंतर्दृष्टियों को कहने का प्रयास किया है, जिन्हें उन्होंने धीरुभाई के साथ लंबे समय तक काम करते हुए सीखा। इस पुस्तक में दिए गए 15 धीरुभाईज्म के दार्शनिक विचारों को समग्र रूप में एक साथ रखने से ही धीरूभाई का कार्य दर्शन स्पष्ट होता है। जिससे भारत के सबसे अधिक सफल उद्धमियों में एक धीरूभाई की चिंतन प्रक्रिया व अभ्यासों की झलक मिलती है। एजी कृष्णमूर्ति, मुद्रा कम्युनिकेशंस के संस्थापक चेयरमैन व एमडी हैं, उन्होंने 35,000 की कुल पूंजी व एक ग्राहक के साथ एजेंसी की शुरुआत की। नौ वर्षो के भीतरही, ‘मुद्रा’ भारत की तीसरी विशाल विज्ञापन एजेंसी बन गई।
धीरूभाई
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धीरुभाई की कहानी ‘बूंद से सागर’ बनने तक की सुंदर कहानी है, उनकी जीवन यात्रा गुजरात के एक छोटे से गांव से शुरु होकर भारत में सबसे पहली निजी स्वामित्व वाली 500 फार्च्यून कंपनियों के संस्थापक पद तक रही। उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की किंतु फिर भी वे अपनी चतुर व्यावसायिक बुद्धि व उदध्म कौशल के लिए जाने जाते थे। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि धीरुभाई का कार्य-दर्शन उनके समकालीनों से बिलकुल अलग था। यह पुस्तक धीरुभाई के जीवन या उन्होंने अपना व्यावससायिक साम्राज्य कैसे बनाया, इस विषय पर नहीं लिखी गई है। लेखक ने धीरुभाई में उन असाधारण अंतर्दृष्टियों को कहने का प्रयास किया है, जिन्हें उन्होंने धीरुभाई के साथ लंबे समय तक काम करते हुए सीखा। इस पुस्तक में दिए गए 15 धीरुभाईज्म के दार्शनिक विचारों को समग्र रूप में एक साथ रखने से ही धीरूभाई का कार्य दर्शन स्पष्ट होता है। जिससे भारत के सबसे अधिक सफल उद्धमियों में एक धीरूभाई की चिंतन प्रक्रिया व अभ्यासों की झलक मिलती है। एजी कृष्णमूर्ति, मुद्रा कम्युनिकेशंस के संस्थापक चेयरमैन व एमडी हैं, उन्होंने 35,000 की कुल पूंजी व एक ग्राहक के साथ एजेंसी की शुरुआत की। नौ वर्षो के भीतरही, ‘मुद्रा’ भारत की तीसरी विशाल विज्ञापन एजेंसी बन गई।
Additional information
Author | A G Krishnamurthy |
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ISBN | 8128815458 |
Pages | 144 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Fusion Books |
ISBN 10 | 8128815458 |