Call us on: +91-9716244500

Free shipping On all orders above Rs 600/-

We are available 10am-5 pm, Need help? contact us

Sale!

Sambhog Se Samadhi Ki Aur-संभोग से समाधि की ओर (From Sex To Superconsciousness)

Original price was: ₹425.00.Current price is: ₹424.00.

A Book Is Forever
Sambhog Se Samadhi Ki Aur-संभोग से समाधि की ओर (From Sex To Superconsciousness)

पुस्तक संभोग से समाधि की और में, ओशो ने पाठक को संभोग और गर्भाधान के समय से लेकर मृत्यु तक मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया। … संभोग से समाधि की और में, वह यह भी बताते हैं कि कितने लोग काम से नहीं बच सकते हैं और लोगों को इससे नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की सहायक संरचना है।पुस्तक संभोग से समाधि की और में, ओशो ने पाठक को संभोग और गर्भाधान के समय से लेकर मृत्यु तक मनुष्य की आध्यात्मिक यात्रा के बारे में बताया। अपने अमूल्य संग्रह में ओशो व्यक्ति के जीवन के विविध विषयों पर पांच प्रवचन देते हैं।

संभोग से समाधि की और में, वह यह भी बताते हैं कि कितने लोग काम से नहीं बच सकते हैं और लोगों को इससे नहीं लड़ना चाहिए, क्योंकि यह जीवन की सहायक संरचना है। वह उन पापों के बारे में भी विस्तार से बताता है जिन्हें लोग अक्सर महसूस नहीं करते हैं कि भगवान पापों के बारे में सोचते हैं।

A Book Is Forever
Sambhog Se Samadhi Ki Aur-संभोग से समाधि की ओर (From Sex To Superconsciousness)

ओशो के बारे में रोचक तथ्य

ओशो एक उच्च कोटि के वक्ता थे। उनका बोलने पर इतना आत्मविश्वास था की एक बार जो बोल दिया सो बोला दिया वही आखिरी होगा।

ओशो ने लगभग-लगभग हर एक विषय पर बात/प्रवचन दिए हैं। यदि साहित्यिक लेखिकी को छोड़ दें तो भारत में सबसे ज्यादा किताबें ओशो की बिकती हैं। ओशो सेक्सुअलिटी पर खुले रूप से बातें किया करते थे और वो सेक्स को लेकर बड़े स्वतंत्र होकर बातें किया करते थे ।

ओशो एक बहुत ही गजब के तर्क शास्त्री थे। वह किसी भी बात को सही और गलत साबित करने के पूरी क्षमता रखते थे।

ओशो बचपन से ही लक्सरी लाइफ जीने के आदि रहे थे।

ओशो को अमीरों का गुरु कहा जाता है और खुद भी उन्होंने अपने इंटरव्यूज मे बार-बार जिक्र किया है की वो अमीरों के गुरु हैं। आपको पता है ओशो के पास 90 रॉयल्स रोल्स कारें थीं।

ओशो की म्रत्यु आज भी रहस्य है। कहा तो ये भी जाता है की उन्हीं के करीबी शिष्यों ने उनकी हत्या को अंजाम दिया था।

इसके सबूत भी मिलते हैं क्योंकि उनकी हत्या शिष्यों के बीच हुई और उन्होंने कहा कि गुरु जी ने देह त्याग दी।

Osho Books
Sambhog Se Samadhi Ki Aur-संभोग से समाधि की ओर (From Sex To Superconsciousness)

पुस्तक के बारे में

मशहूर दर्शनशास्त्री और आध्यात्मिक गुरु ओशो ने अपने प्रवचन में जीवन की हर मुश्किलों से निपटने का रास्ता बताया है। वो अक्सर कहा करते थे कि मनुष्य के जीवन में प्रेम से कीमती कोई वस्तु नहीं है। ओशो यह भी कहते थे कि जो मनुष्य पैसे कमाने के लिए यत्न नहीं करता, उसका जीवन निरर्थक है क्योंकि धन जीवन को चलाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। ओशो कहते थे कि जो कौम बिना कुछ किए बिना पैसे कमाना चाहती है, वो कौम खतरनाक है। ओशो कहा करते थे कि जो आदमी एक रुपए लगाकर बिना कुछ किए एक लाख पाने की चाहत रखता है वो एक अपराधी के समान है। ओशो का कहना था कि धन की चाह जरूर रखनी चाहिए लेकिन उसके लिए व्यक्ति का सृजनात्मक होना बेहद जरूरी है। ओशो के अनुसार, एक सभ्य समाज के लिए धन की बहुत ज़्यादा आश्यकता है। इससे सभ्यता को आगे बढ़ने का मौका मिलता है अन्यथा हम भी जंगलों में भटकते रहते। ओशो कहते हैं कि धन मनुष्य के जीवन में सब कुछ नहीं है लेकिन इसके माध्यम से हम जीवन में सब कुछ खरीद सकते हैं। धन कमाने के लिए सबसे अच्छा जरिया है कि हम एक लक्ष्य तय कर लें और सही तरीके से धन को कमाना अपना ध्येय बना लें। ओशो कहते हैं कि जो व्यक्ति धन को फिजूल बताता है और उसकी निन्दा करता है, उसके अंदर धन कमाने की आकांक्षा समाप्त हो जाती है और वो सफलता पाने से चुक जाता है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

क्या ओशो के विचारों को आधुनिक समाज में स्वीकार किया जा सकता है?

ओशो के विचार आज भी कई लोगों के लिए प्रासंगिक हैं। उनका दृष्टिकोण यौन ऊर्जा और ध्यान के संयोजन के बारे में आधुनिक समाज में जागरूकता बढ़ाता है। हालांकि, यह विचार पारंपरिक धारणाओं से भिन्न हैं, इसलिए इसे स्वीकार करने का तरीका व्यक्ति की मानसिकता और समझ पर निर्भर करता है।

क्या संभोग से समाधि की ओर पुस्तक जीवन में परिवर्तन लाने में मदद कर सकती है?

यह पुस्तक जीवन में बदलाव लाने का एक मार्गदर्शन प्रदान करती है। ओशो के विचारों को समझने और आत्मसात करने से व्यक्ति अपने जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता और शांति प्राप्त कर सकता है। हालांकि, इसे समझने के लिए मानसिकता और इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है।

क्या संभोग से समाधि की ओर के सिद्धांत सभी के लिए लागू हो सकते हैं?

ओशो के सिद्धांत उन लोगों के लिए अधिक लागू हो सकते हैं जो आध्यात्मिकता में रुचि रखते हैं और अपने जीवन में शांति, संतुलन और जागरूकता चाहते हैं। यह पुस्तक विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो अपने शारीरिक और मानसिक अनुभवों को ध्यान और आत्मसाक्षात्कार के रूप में देखना चाहते हैं।

क्या ओशो के अनुसार, संभोग और समाधि का अनुभव एक ही समय में हो सकता है?

ओशो के अनुसार, संभोग और समाधि का अनुभव एक ही समय में हो सकता है, यदि व्यक्ति पूरी तरह से जागरूक और उपस्थित होता है। ओशो इसे एक साथ होने वाली घटनाओं के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसमें शारीरिक और मानसिक अनुभव एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और व्यक्ति को गहरे ध्यान और शांति का अनुभव होता है।

क्या संभोग से समाधि की ओर पुस्तक को एक सामान्य व्यक्ति भी आसानी से समझ सकता है?

ओशो के विचारों को समझने के लिए व्यक्ति को मानसिक और आध्यात्मिक रूप से तैयार होना चाहिए। हालांकि पुस्तक को सामान्य व्यक्ति भी समझ सकता है, लेकिन ओशो के विचार अक्सर विचारशील और ध्यानपूर्ण होते हैं, और पूरी तरह से समझने के लिए गहरी सोच की आवश्यकता होती है।

Additional information

Weight 400 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 2.61 cm
Author

Osho

ISBN

8171822126

Pages

296

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8171822126

संभोग से समाधि की ओर

  • आज तक मनुष्य की सारी संस्कृतियों ने सेक्स का, काम का, वासना का विरोध किया है। इस विरोध ने, मनुष्य के भीतर प्रेम के जन्म की संभावना तोड़ दी, नष्ट कर दी। इस निषेध ने… क्योंकि सवाल यह है कि प्रेम की सारी यात्रा का प्रारंभिक बिंदु काम है, सेक्स है।
  • प्रेम की यात्रा का जन्म, गंगोत्री—जहां से गंगा पैदा होगी प्रेम की—वह सेक्स है, वह काम है।
  • और उसके सब दुश्मन हैं। सारी संस्कृतियां, और सारे धर्म, और सारे गुरु और सारे महात्मा—तो गंगोत्री पर ही चोट कर दी। वही रोक दिया। पाप है काम, ज़हर है काम।
  • और हमने सोचा भी नहीं कि काम की ऊर्जा ही, सेक्स ऊर्जा ही, अंततः प्रेम में परिवर्तित होती है और स्वप्नातीत होती है।
  • क्या आपको पता है, धर्म के श्रेष्ठतम अनुभव में ‘मैं’ बिलकुल मिट जाता है, अहंकार बिलकुल शून्य हो जाता है?
  • सेक्स के अनुभव में क्षण भर का अहंकार मिटता है। लगता है कि हूं या नहीं। एक क्षण को विलीन हो जाता है ‘मेरा’पन का भाव।
  • दूसरी घटना घटती है: एक क्षण के लिए समय मिट जाता है, टाइम-सेंसनेस पैदा हो जाती है।
  • समाधि का जो अनुभव है, वहां समय नहीं रह जाता है। वह कालातीत है। समय विलीन हो जाता है। न कोई अतीत है, न कोई भविष्य—शुद्ध वर्तमान रह जाता है।
  • दो तरह हैं, जिसकी वजह से आदमी सेक्स की तरफ आतुर होता है और पागल होता है। यह आतुरता स्त्री के शरीर के लिए नहीं है पुरुष की, न पुरुष के शरीर के लिए स्त्री की है। यह आतुरता शरीर के लिए बिलकुल भी नहीं है।
  • यह आतुरता किसी और ही बात के लिए है। यह आतुरता है—अहंकार-शून्यता का अनुभव।
  • लेकिन समय-शून्य और अहंकार-शून्य होने के लिए आतुरता क्यों है?
  • क्योंकि जैसे ही अहंकार मिटता है, आत्मा की झलक उपलब्ध होती है। जैसे ही समय मिटता है, परमात्मा की झलक उपलब्ध होती है।

—ओशो

ISBN10-8171822126

SKU 9788171822126 Categories , Tags , , ,

Customers Also Bought