शिव नेत्र
शिव नेत्र
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‘शिव नेत्र’ में स्वामी कृष्णानंदजी अष्टांगयोग को ही आध्यात्मिक जगत् में प्रवेश का द्वार बता रहे हैं। क्योंकि भौतिक जगत् के पार ही वास्तविक आध्यात्मिक जीवन आरंभ होता है। अत भौतिक जगत् के पार जाने के लिए मन के पार जाना होता है।
स्वामी कृष्णानंद इस पुस्तक में अध्यात्म के अन्य पक्षों पर भी प्रभाव डालते हैं। पूर्ण, पुरुष, शिव नेत्र-ऊर्जा, परम वचन, परम ऊर्जा आदि। अध्यात्म जगत के विभिन्न आयामोंसे, साधना और ध्यान प्रक्रियाओं से साधकों-सेवकों को परिचय करा कर उनके पथ को तथा यात्रा को आसान बनाना उनका उद्देश्य है।
Additional information
Author | Sri Krishna Nand Ji Maharaj |
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ISBN | 8184194439 |
Pages | 160 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8184194439 |