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Ashtavakra Mahageeta Bhag I Mukti Ki Aakansha: (अष्टावक्र महागीता भाग 1 मुक्ति की आकांक्षा”)

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…तुम मुझे जब सुनो तो ऐसे सुनो जैसे कोई किसी गायक की सुनता है। तुम मुझे ऐसे सुनो जैसे कोई किसी कवि को सुनता है। तुम मुझे ऐसे सुनो कि जैसे कोई कभी पक्षियों के गीतों को सुनता हो, या पानी की मर्मर को सुनता है, या वर्षा में गरजते मेघों को सुनता है। तुम मुझे ऐसे सुनो कि तुम उसमें अपना हिसाब मत रखो। तुम आनंद के लिए सुनो। तुम रस में डूबो। तुम यहां दुकानदार की तरह मत आओ। तुम यहां बैठे-बैठे भीतर गणित मत बिठाओ कि क्या इसमें से सुन लें और क्या छोड़ें, क्या न करें। तुम मुझे सिर्फ आनंद-भाव से सुनो। स्वातः सुघट तुलसी रघुनाथ गाथा! स्वातः सुघट…सुख के लिए सुनो। उस सुख में सुनते-सुनते जो चीज तुम्हें गहरे तक छू जाए, उसमें फिर थोड़ी और डुबकी लगाओ। मेरा गीत सुनो, उसमें जो कड़ी तुम्हें भा जाए, फिर तुम उसे गुनगुनाओ; उसे तुम्हारा मंत्र बन जाने दो। धीरे-धीरे तुम पाओगे कि जीवन में बहुत कुछ बिना बड़ा आयोजन किए घटने लगा।** —ओशो

ISBN10- 8189605771

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पुस्तक के बारे में

अष्टावक्र महागीता भाग 1: मुक्ति की आकांक्षा” ओशो द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक पुस्तक है। यह अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद पर आधारित है, जिसमें मुक्ति और आत्मज्ञान के गहन सिद्धांतों की व्याख्या की गई है। पुस्तक ध्यान और आत्मनिरीक्षण के महत्व को समझाते हुए सत्य की खोज का मार्ग दिखाती है।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 1: मुक्ति की आकांक्षा किसने लिखी है?u003c/strongu003e

इस पुस्तक को ओशो ने लिखा है। ओशो ने अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद की व्याख्या करते हुए आत्मज्ञान और मुक्ति के मार्ग को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 1: मुक्ति की आकांक्षा का मुख्य विषय क्या है?u003c/strongu003e

इस पुस्तक का मुख्य विषय आत्मज्ञान, मुक्ति, और सत्य की खोज है। यह अष्टावक्र और राजा जनक के बीच हुए संवाद पर आधारित है, जिसमें मुक्ति की आकांक्षा को समझाया गया है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 1: मुक्ति की आकांक्षा किसके लिए उपयुक्त है?u003c/strongu003e

यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो आत्मज्ञान और मुक्ति के मार्ग को समझने में रुचि रखते हैं। साधक और आम पाठक दोनों के लिए यह पुस्तक जीवन के गहरे प्रश्नों का समाधान प्रदान करती है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र गीता क्या है?u003c/strongu003e

अष्टावक्र गीता एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसमें अष्टावक्र ऋषि और राजा जनक के संवाद को प्रस्तुत किया गया है। इसमें आत्मज्ञान और मुक्ति के गहन सिद्धांतों की व्याख्या की गई है, जो जीवन की सच्चाई को उजागर करते हैं।

u003cstrongu003eओशो की व्याख्या में क्या विशेष है?u003c/strongu003e

ओशो की व्याख्या सरल और सटीक है। उन्होंने गहरे आध्यात्मिक विषयों को ऐसे तरीके से समझाया है, जो हर व्यक्ति के जीवन में लागू किया जा सकता है। उनका दृष्टिकोण ध्यान, आत्मनिरीक्षण और सत्य की खोज को केंद्रित करता है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र महागीता भाग 1: मुक्ति की आकांक्षा में मुक्ति का क्या अर्थ है?u003c/strongu003e

मुक्ति का अर्थ है आत्मा की बंधनों से स्वतंत्रता। ओशो के अनुसार, यह बंधनों से मुक्ति और आत्मा की सच्ची पहचान की प्राप्ति है। यह पुस्तक मुक्ति की इस आकांक्षा को समझाने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है।

u003cstrongu003eअष्टावक्र गीता से क्या सीखा जा सकता है?u003c/strongu003e

अष्टावक्र गीता आत्मा की गहराई और उसकी मुक्ति की प्रक्रिया को समझने का एक साधन है। यह पुस्तक पाठकों को जीवन की सच्चाई और आंतरिक शांति प्राप्त करने का मार्ग दिखाती है

Additional information

Weight 380 g
Dimensions 21.59 × 13.97 × 1.7 cm
Author

Osho

ISBN

8189605771

Pages

328

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

ISBN 10

8189605771

ISBN : 9788189605773 SKU 9788189605773 Categories , , Tags ,

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