इस पुस्तक में संकलित कहानियों का चयन कथाकार मन्नू भंडारी ने स्वयं किया है। इस चयन में एक कालक्रमिकता दिखाई देती है जो एक श्रेष्ठ कथाकार के रूप में इनके रचनात्मक विकास का संकेत देती है। इनकी कहानियों में एक स्वतंत्रा, न्यायप्रिय और संतुलित दृष्टि का चौमुख रचनात्मक बोध् है। अपनी सादगी और अनुभूति की प्रमाणिकता के कारण इनकी कहानियां विशेष रूप से प्रशंसा पाती हैं। स्त्री मन की आकांक्षाएं, पुरुष मन की ईर्ष्याएं, आधुनिकता का संयमित विरोध्, मध्य वर्गीय बुधिजीवियों के छद्म, ओढ़ी हुई आधुनिकता और जमी हुई रूढ़ियों पर इनकी पैनी निगाह हमेशा बनी रहती है। इन तमाम विशेषताओं से भरी मन्नू भंडारी की श्रेष्ठ कहानियां आज के समय में हिन्दी पाठकों के लिए जीवनयापन का संबल हैं, जो एक साथ हमें संघर्ष करने की ताकत भी देती हैं और अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करने की रोशनी भी। यह संकलन एक श्रेष्ठ कथाकार की इस लंबी यात्रा को समझने हेतु पाठकों को एक सूत्रा अवश्य देगा। इनकी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृतियां हैं: महाभोज, आपका बंटी, स्वामी, बिना दीवारों का घर, स्वामी, बिना दीवारों का घर, आंखों देखा झूठ, मैं हार गई आदि।
21 श्रेष्ठ कहानियां मन्नू भंडारी
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इस पुस्तक में संकलित कहानियों का चयन कथाकार मन्नू भंडारी ने स्वयं किया है। इस चयन में एक कालक्रमिकता दिखाई देती है जो एक श्रेष्ठ कथाकार के रूप में इनके रचनात्मक विकास का संकेत देती है। इनकी कहानियों में एक स्वतंत्रा, न्यायप्रिय और संतुलित दृष्टि का चौमुख रचनात्मक बोध् है। अपनी सादगी और अनुभूति की प्रमाणिकता के कारण इनकी कहानियां विशेष रूप से प्रशंसा पाती हैं। स्त्री मन की आकांक्षाएं, पुरुष मन की ईर्ष्याएं, आधुनिकता का संयमित विरोध्, मध्य वर्गीय बुधिजीवियों के छद्म, ओढ़ी हुई आधुनिकता और जमी हुई रूढ़ियों पर इनकी पैनी निगाह हमेशा बनी रहती है। इन तमाम विशेषताओं से भरी मन्नू भंडारी की श्रेष्ठ कहानियां आज के समय में हिन्दी पाठकों के लिए जीवनयापन का संबल हैं, जो एक साथ हमें संघर्ष करने की ताकत भी देती हैं और अपना मार्ग स्वयं प्रशस्त करने की रोशनी भी। यह संकलन एक श्रेष्ठ कथाकार की इस लंबी यात्रा को समझने हेतु पाठकों को एक सूत्रा अवश्य देगा। इनकी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृतियां हैं: महाभोज, आपका बंटी, स्वामी, बिना दीवारों का घर, स्वामी, बिना दीवारों का घर, आंखों देखा झूठ, मैं हार गई आदि।
Additional information
Author | Mannu Bhandari |
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ISBN | 9788128820557 |
Pages | 255 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 8128820559 |