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Aas Paas Ki Laghu Kahaniyan

150.00

हम अपने आसपास बहुत-सी ऐसी घटनाएं देखते हैं जो हमें सोचने पर विवश कर देती हैं। कई बार तो ऐसा भी लगता है कि काश इनकी अच्छाईयां मुझमें, आपमें और समाज में आ जातीं, परंतु ऐसा नहीं होता और न ही यह सम्भव है। कई अनेक घटक हैं जो हमारे सोचने और निर्णय लेने में प्रभाव डालते हैं। इसलिए एक ही काम करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के कदम उठाते हैं, भले ही उनकी शिक्षा एक जैसी हुई हो, उनके रहने का वातावरण एक जैसा हो, यहाँ तक कि उनका सोचने का तरीका भी एक जैसा हो। फिर इन किस्से-कहानियों के पढ़ने का क्या औचित्य? यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे हम कोई धार्मिक पुस्तक बार-बार पढ़ते हैं। जब हम उन्हें पढ़ते हैं तो एकाएक जो विचार हमारे मस्तिष्क के किसी कोने में होते हैं, वे हमें सोचने को मजबूर करते हैं और यही सोच विचारों को क्रियान्वित करने में सहायक होती है। अतः किस्से-कहानियों का महत्त्व हमेशा बना रहेगा। ये कहानियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं, कुछ हँसी की, कुछ दुःख भरी तो कुछ गम्भीर, परंतु वास्तविकता से इनका कोई सम्बंध नहीं है। अतः इनकी तुलना समाज के किसी व्यक्ति, विषय, धर्म, अथवा संस्था से न करें, क्योंकि इनका उद्देश्य केवल आपको प्रसन्न रखना है, न कि समाज अथवा संस्था की अच्छाईयों-बुराइयों की समीक्षा करना। वैसे भी न तो मुझे समीक्षा करने की समझ है, न उसका ज्ञान।

ISBN10-9350832453

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हम अपने आसपास बहुत-सी ऐसी घटनाएं देखते हैं जो हमें सोचने पर विवश कर देती हैं। कई बार तो ऐसा भी लगता है कि काश इनकी अच्छाईयां मुझमें, आपमें और समाज में आ जातीं, परंतु ऐसा नहीं होता और न ही यह सम्भव है। कई अनेक घटक हैं जो हमारे सोचने और निर्णय लेने में प्रभाव डालते हैं। इसलिए एक ही काम करने के लिए लोग अलग-अलग तरह के कदम उठाते हैं, भले ही उनकी शिक्षा एक जैसी हुई हो, उनके रहने का वातावरण एक जैसा हो, यहाँ तक कि उनका सोचने का तरीका भी एक जैसा हो। फिर इन किस्से-कहानियों के पढ़ने का क्या औचित्य? यह कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे हम कोई धार्मिक पुस्तक बार-बार पढ़ते हैं। जब हम उन्हें पढ़ते हैं तो एकाएक जो विचार हमारे मस्तिष्क के किसी कोने में होते हैं, वे हमें सोचने को मजबूर करते हैं और यही सोच विचारों को क्रियान्वित करने में सहायक होती है। अतः किस्से-कहानियों का महत्त्व हमेशा बना रहेगा। ये कहानियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं, कुछ हँसी की, कुछ दुःख भरी तो कुछ गम्भीर, परंतु वास्तविकता से इनका कोई सम्बंध नहीं है। अतः इनकी तुलना समाज के किसी व्यक्ति, विषय, धर्म, अथवा संस्था से न करें, क्योंकि इनका उद्देश्य केवल आपको प्रसन्न रखना है, न कि समाज अथवा संस्था की अच्छाईयों-बुराइयों की समीक्षा करना। वैसे भी न तो मुझे समीक्षा करने की समझ है, न उसका ज्ञान।

Additional information

Author

Krishna Murari Soni

ISBN

9789350832455

Pages

176

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9350832453

Flipkart

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ISBN 10

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