पूछो या न पूछोए उत्तर दिए जा रहे हैं। उत्तर में ही दे रहा हूं। अगर तुमने धैर्य रखा और न पूछाए तो भी उत्तर मिल जाएगा। अधैर्य कियाए पूछा तो भी उत्तर मिल जाएगा। मेरे तुम्हारे बीच संवाद चल रहा है। अभी इसी क्षण मैं यहां उपलब्ध् हूं। भविष्य की प्रतीक्षा न करेंए अपना हृदय खोलेंए अधिक से अधिक ग्राहता उत्पन्न करें और मेरे साथ लयबद्ध हो जाएं। हर चीज संभव है। इसी क्षण मैं तुम्हें मेरे रहस्य की कुंजी दे सकता हूं। तुम्हें विकसित करने का यह नया दौर शुरू हो चुका है। अब इसके लिए तैयार हो जाएंए क्योंकि यह प्रश्न मुझसे संबंध्ति न होकर तुमसे ही संबंध्ति है। तुम उतना ही प्राप्त कर सकते हो जितनी तुम्हारी क्षमता और सीमा है। यदि तुम पूरी तरह खुले हुए हो तो वह असीमित है। पूरा सागर ही तुम्हारी बूंद में गिरने के लिए तैयार हैए लेकिन बूंद भयभीत है। अपने को बचाने की कोशिश कर रही है।
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पूछो या न पूछोए उत्तर दिए जा रहे हैं। उत्तर में ही दे रहा हूं। अगर तुमने धैर्य रखा और न पूछाए तो भी उत्तर मिल जाएगा। अधैर्य कियाए पूछा तो भी उत्तर मिल जाएगा। मेरे तुम्हारे बीच संवाद चल रहा है। अभी इसी क्षण मैं यहां उपलब्ध् हूं। भविष्य की प्रतीक्षा न करेंए अपना हृदय खोलेंए अधिक से अधिक ग्राहता उत्पन्न करें और मेरे साथ लयबद्ध हो जाएं। हर चीज संभव है। इसी क्षण मैं तुम्हें मेरे रहस्य की कुंजी दे सकता हूं। तुम्हें विकसित करने का यह नया दौर शुरू हो चुका है। अब इसके लिए तैयार हो जाएंए क्योंकि यह प्रश्न मुझसे संबंध्ति न होकर तुमसे ही संबंध्ति है। तुम उतना ही प्राप्त कर सकते हो जितनी तुम्हारी क्षमता और सीमा है। यदि तुम पूरी तरह खुले हुए हो तो वह असीमित है। पूरा सागर ही तुम्हारी बूंद में गिरने के लिए तैयार हैए लेकिन बूंद भयभीत है। अपने को बचाने की कोशिश कर रही है।
Additional information
Author | Shashikant Sadaiv |
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ISBN | 9789350833063 |
Pages | 760 |
Format | Paper Back |
Language | Hindi |
Publisher | Jr Diamond |
ISBN 10 | 9350833069 |