Kadve Pravachan Hindi
Kadve Pravachan Hindi
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डायमंड पॉकेट बुक्स ने तरुणसागरजी के प्रवचनों का अद्भुत संकलन प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक की विशेषता इसका 14 भाषाओं में प्रकाशन है। जैन मुनिश्री तरुणसागर उस समय बहुत चर्चा में आये, जब उन्होंने भगवान महावीर को लेकर टिप्पणी की। वह जैन संप्रदाय के ऐसे दिगम्बर मुनि हैं, जिनके प्रवचनों के श्रोताओं में कई गुना अधिक अजैन उमड़ते हैं। उनकी बात खरी और सीधे मार करने वाली होती है। एक महान वक्ता, जिनकी वाणी से कभी आग तो कभी शीतलता बरसती है। यही कारण है कि उनका सान्निध्य लेने के लिए चोटी के राजनेता, कलाकार जैसे लोग खिंचे चले आते हैं। यदि आप इन उद्गारों को पढ़कर, उनके मर्म को समझकर अपने जीवन में उतारें तो आप जीवन के हर क्षेत्रा में सफलता के शिखर पर पहुंचेंगे, यह हमारा दावा है। हरेक सूत्रा हीरे से भी तौलो तो ज्यादा वजनी है। इसमें मुनिश्री द्वारा गत वर्षों में भारतवर्ष में उनके प्रवास के दौरान दिए गए प्रवचनों का सार-संग्रह हैं। इस पुस्तक को पढ़ते समय बस इतना ख्याल रखना है कि दवाई और सच्चाई हमेशा कड़वी होती है।
मुख्य बातें:
हल्के-फुल्के और चुलबुले अंदाज में लिखा गया एक संग्रहणीय पुस्तक, जिसके विचार आपके जीवन को और आपकी सोच को एक नई दिशा प्रदान करेंगे।
Additional information
Author | Muni Sri Tarun Sagar Ji Maharaj |
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ISBN | 9789351652403 |
Pages | 48 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 9351652408 |