यह योगी के जीवन पर आधारित एक ऐसा उपन्यास है जिसमें योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व और कृतित्व के प्रति आम जन-मानस की धारणा के अनरूप चित्रित किया गया है। उपन्यास में वर्णित सभी प्रमुख घटनाएँ जो कथानक और पात्रों के चरित्र को प्रभावित करती हैं, वे सत्य हैं। हालाँकि कहीं-कहीं किसी विशेष भाव को उकेरने, किसी पात्र के चरित्र को दर्शाने या किसी कथ्य को प्रेषित करने हेतु कुछ छोटे-मोटे काल्पनिक दृश्यों का भी सहारा लिया गया है। किंतु वे दृश्य वास्तविक न होते हुए भी जो भाव या विचार उत्पन्न करते हैं वे पात्रों के चरित्र के सम्बंध में सत्य हैं।
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प्रताप नारायण सिंह उन प्रतिभाशाली लेखकों में से हैं जिनकी पहली ही पुस्तक “सीता: एक नारी” को हिंदी संस्थान’, उत्तर प्रदेश द्वारा “जयशंकर प्रसाद पुरस्कार” जैसा प्रतिष्ठित सम्मान प्रदान किया गया। साथ ही पुस्तक लोकप्रिय भी रही। तदनंतर उनका उपन्यास “धनंजय” प्रकाशित हुआ, जो इतना लोकप्रिय हुआ कि एक वर्ष की अवधि के अंदर ही उसका दूसरा संस्करण ‘डायमंड बुक्स’ के द्वारा प्रकाशित किया गया। इस बीच उनका एक काव्य संग्रह “बस इतना ही करना” और एक कहानी संग्रह “राम रचि राखा” भी प्रकाशित हुआ। “राम रचि राखा” की अनेक कहानियाँ कई पत्रिकाओं में पूर्व प्रकाशित हो चुकी थीं। उनका नवीनतम उपन्यास “अरावली का मार्तण्ड” डायमंड बुक्स के द्वारा प्रकाशित किया जा चुका है।