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Sambhog Se Samadhi Ki Aur – Part 1 (सम्भोग से समाधि की ओर : भाग – 1)

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संभोग से समाधि की ओर: भाग – 1 में ओशो ने यौन ऊर्जा और ध्यान के गहरे संबंध को समझाया है। इस पुस्तक में बताया गया है कि कैसे संभोग की ऊर्जा को जागरूकता और समाधि की ओर ले जाया जा सकता है। यह जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से विचार करने और यौनता को आध्यात्मिकता से जोड़ने का मार्ग प्रदान करती है। ओशो की यह पुस्तक पारंपरिक धारणाओं से परे एक नई दृष्टि प्रस्तुत करती है।

ISBN: 9355992149

ISBN10-9355992149

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Sambhog Se Samadhi Ki Aur - Part 1 (सम्भोग से समाधि की ओर : भाग - 1)
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Sambhog Se Samadhi Ki Aur - Part 1 (सम्भोग से समाधि की ओर : भाग - 1)
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Sambhog Se Samadhi Ki Aur - Part 1 (सम्भोग से समाधि की ओर : भाग - 1)

इस पुस्तक के बारे में:

ओशो के प्रखर विचारों ने, ओजस्वी वाणी ने मनुष्यता के दुश्मनों पर, संप्रदायों पर, मठाधीशों पर, अंधे राजनेताओं पर, जोरदार प्रहार किया। लेकिन पत्र-पत्रिकाओं ने छापीं या तो ओशो पर चटपटी मनगढंत खबरें या उनकी निंदा की, भ्रम के बादल फैलाए। ये भ्रम के बादल आड़े आ गये ओशो और लोगों के। जैसे सूरज के आगे बादल आ जाते हैं। इससे देर हुई। इससे देर हो रही है मनुष्य के सौभाग्य को मनुष्य तक पहुंचने में।

लेखक के बारे में

ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है। हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है। ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

क्या u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 केवल यौन शिक्षा पर आधारित है?

नहीं, u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 यौन शिक्षा से कहीं अधिक है। यह पुस्तक यौन ऊर्जा को आध्यात्मिक ऊर्जा में रूपांतरित करने के मार्ग को स्पष्ट करती है, जिसमें ध्यान और आत्मबोध की महत्वपूर्ण भूमिका है।

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में ओशो का क्या दृष्टिकोण है?

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में ओशो का दृष्टिकोण यह है कि संभोग को एक पवित्र और स्वाभाविक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार करके, उसे ध्यान और समाधि की उच्च अवस्थाओं तक पहुँचने का साधन बनाया जा सकता है।

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 किसे पढ़नी चाहिए?

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 उन लोगों के लिए है जो अपनी यौन ऊर्जा को समझना और उसे एक उच्चतर आध्यात्मिक अनुभव में परिवर्तित करना चाहते हैं। यह विशेष रूप से ध्यान और आत्मबोध की खोज करने वाले पाठकों के लिए उपयुक्त है।

ओशो ने u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में यौन ऊर्जा के बारे में क्या कहा है?

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में ओशो ने कहा है कि यौन ऊर्जा ब्रह्मांड की सबसे महत्वपूर्ण और गहन ऊर्जा है, जिसे सही दिशा में रूपांतरित करके समाधि प्राप्त की जा सकती है। यह ऊर्जा जीवन के सभी पहलुओं में उपयोगी है, अगर इसे सही तरीके से समझा और नियंत्रित किया जाए।

क्या u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में केवल काम पर चर्चा होती है?

नहीं, u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 में केवल काम पर ही नहीं, बल्कि ध्यान, आत्मज्ञान, और जीवन के गहरे रहस्यों पर भी चर्चा की गई है। ओशो का मानना है कि यौन ऊर्जा से परे जाकर ध्यान और समाधि की अवस्था को प्राप्त किया जा सकता है।

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 के अनुसार यौन ऊर्जा और आध्यात्मिकता में क्या संबंध है?

u0022संभोग से समाधि की ओर : भाग – 1u0022 के अनुसार यौन ऊर्जा और आध्यात्मिकता के बीच गहरा संबंध है। ओशो बताते हैं कि यदि यौन ऊर्जा को सही दिशा में रूपांतरित किया जाए, तो यह ध्यान और समाधि की ऊँचाइयों तक ले जा सकती है।

Additional information

Weight 250 g
Dimensions 20.32 × 12.7 × 1.14 cm
Author

Osho

ISBN

9789355992147

Pages

462

Format

Paperback

Language

Hindi

Publisher

Diamond Books

Amazon

https://www.amazon.in/dp/9355992149

Flipkart

https://www.flipkart.com/sambhog-se-samadhi-ki-aur-part-1/p/itma91e7d7323033?pid=9789355992147

ISBN 10

9355992149

ISBN : 9789355992147 SKU 9789355992147 Categories , , Tags ,

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