समाज में प्रचलित मान्यताओं, रूढियों अथ्वा परम्पराओं का कहीं कोई धार्मिक आधार है या नहीं। यह चिंतन समय की मांग है। हिन्दू सनातन मान्यताओं में विश्वास रखनेवाला एक बहुत बड़ा वर्ग यह चाहता है कि हिन्दू धर्म की हर आस्था के भाव हृदय की धडकन से जुड़े हैं। आस्थावान आस्तिक होता है तथा वैज्ञानिक मन-मस्तिष्क नास्तिक होता है। दोनों का सन्वय बडी दुविधाजनक स्थितिको इंगित करता हैं अत” समाज में जो प्रचलित मान्यताएं है उसके धार्मिक आधार व पहलू पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए ताकि हमें हमारी मान्यताओं के धार्मिक मूलाधार का पता चल सके। हिन्दू धर्मशास्त्र अपने आप में एक विज्ञान है। शास्त्र प्रमाण अपने आप में बहुत बडा प्रमाण है। हमारे धर्मशास्त्रों को दूसरे वैज्ञानिकों से प्रमाण-लेने की आवश्यकता नहीं। जनमानस ने शास्त्र-चर्चा पर ज्यादा जोर दिया फलत ‘हिन्दूमान्यताओं का धार्मिक आधार वाला यह पुस्तक आपके हाथ में है। हिन्दू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार पुस्तक अलग से प्रकाशित है।
हिन्दी मान्यताओं का धार्मिक आधार
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समाज में प्रचलित मान्यताओं, रूढियों अथ्वा परम्पराओं का कहीं कोई धार्मिक आधार है या नहीं। यह चिंतन समय की मांग है। हिन्दू सनातन मान्यताओं में विश्वास रखनेवाला एक बहुत बड़ा वर्ग यह चाहता है कि हिन्दू धर्म की हर आस्था के भाव हृदय की धडकन से जुड़े हैं। आस्थावान आस्तिक होता है तथा वैज्ञानिक मन-मस्तिष्क नास्तिक होता है। दोनों का सन्वय बडी दुविधाजनक स्थितिको इंगित करता हैं अत” समाज में जो प्रचलित मान्यताएं है उसके धार्मिक आधार व पहलू पर ज्यादा चर्चा होनी चाहिए ताकि हमें हमारी मान्यताओं के धार्मिक मूलाधार का पता चल सके। हिन्दू धर्मशास्त्र अपने आप में एक विज्ञान है। शास्त्र प्रमाण अपने आप में बहुत बडा प्रमाण है। हमारे धर्मशास्त्रों को दूसरे वैज्ञानिकों से प्रमाण-लेने की आवश्यकता नहीं। जनमानस ने शास्त्र-चर्चा पर ज्यादा जोर दिया फलत ‘हिन्दूमान्यताओं का धार्मिक आधार वाला यह पुस्तक आपके हाथ में है। हिन्दू मान्यताओं का वैज्ञानिक आधार पुस्तक अलग से प्रकाशित है।
Additional information
Author | Dr. Bhojraj Deivedi |
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ISBN | 812880796X |
Pages | 232 |
Format | Paperback |
Language | Hindi |
Publisher | Diamond Books |
ISBN 10 | 812880796X |